भोपाल। जैसा कि पूर्वानुमान था, दिग्विजय सिंह भले ही मंच और पोस्टर्स में नजर नहीं आ रहे परंतु टिकट वितरण के दौरान राजा साहब ने पूरी ताकत झोंक दी है। हालात यह बने कि CEC की मीटिंग में राहुल गांधी के सामने दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच काफी हंगामेदार बहस हुई। यह इतनी गंभीर स्थिति में पहुंच गई कि राहुल गांधी ने समस्या को सुलझाने के लिए 3 सदस्यीय नई कमेटी का गठन कर दिया है।
क्या नतीजा निकला CEC की मीटिंग में
CEC की मीटिंग में लिस्ट फाइनल की जानी थी परंतु कुछ सीटों को लेकर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेद हो गए। भरी मीटिंग में दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। यह बहस मर्यादाओं की सीमाएं तोड़ती नजर आई। अंतत: राहुल गांधी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जिसमें अहमद पटेल, अशोक गहलोत और वीरप्पा मोइली को शामिल किया गया है। ये तीनों दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच उत्पन्न हुए विवाद को सुलझाएंगे।
सिंधिया को सीएम नहीं बनने देंगे दिग्विजय सिंह
कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि नर्मदा यात्रा के पहले से ही दिग्विजय सिंह ने अपनी योजना तैयार कर ली थी। नर्मदा यात्रा भी उनकी रणनीति का हिस्सा थी। वो पूरी तरह आश्वस्त हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस वापसी करेगी। वो चाहते हैं कि नई सरकार उनके रिमोट पर चले। ज्योतिरादित्य सिंधिया उनका रोबोट नहीं हो सकते अत: वो ज्योतिरादित्य सिंधिया को कभी सीएम नहीं बनने देंगे। यह तो सभी जानते हैं कि सीएम सीट का दावेदार वही होगा जिसके गुट में सबसे ज्यादा विधायक होंगे। इसलिए सिंधिया के गुट को कम से कम सीटें दीं जा रहीं हैं। ज्यादातर वो सीटें दीं जा रहीं हैं जहां भाजपा से तगड़ी चुनौती मिलने वाली है। सूत्र कहते हैं कि इसके बाद दिग्विजय सिंह के पास प्लान बी भी है।
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