शिर्डी के साईं का भगवा करण: ‘सबका मालिक एक’ हटाया ‘ॐ श्री साईंनाथाय नम:’ लिखा | NATIONAL NEWS

नवनाथ दिघे, शिर्डी। करीब डेढ़ सौ साल पहले दुनिया को साईं बाबा ने ‘सबका मालिक एक’ का संदेश दिया। आज दुनियाभर में दस हजार से ज्यादा साईं मंदिरों के माध्यम से करोड़ों साईंभक्त इस संदेश को दुनियाभर में पहुंचाने का काम कर रहे हैं, लेकिन साईंबाबा की कर्मभूमि और उनके समाधि स्थल शिर्डी में पिछले साढ़े चार साल में बहुत कुछ बदल गया है।

2016 में शिर्डी संस्थान में भाजपा से जुड़े लोगों की ट्रस्टियों के रूप में नियुक्ति के बाद साईं मंदिर के भगवाकरण को गति मिली और ‘ॐ श्री साईंनाथाय नम:’ के प्रसार के प्रयास शुरू हुए। हालांकि, यह प्रयास पहले से जारी थे, पर पिछले साढ़े चार साल में इसमें काफी तेजी आई है। अब साईं संस्थान के सारे प्रकाशनों और साईंबाबा के फोटो पर हमेशा विद्यमान रहने वाला ‘सबका मालिक एक’ का संदेश नज़र नहीं आता है। इसकी जगह ‘ॐ श्री साईंनाथाय नम:’ ने ले ली है।

भगवा रंग में रंगे बोर्ड / Saffron colors dyed board

साईंबाबा शिर्डी में जहां साठ वर्षों तक रहे, उस जगह का उल्लेख द्वारकामाई मस्जिद के रूप में होता था, अब मस्जिद के साइनबोर्ड पर ‘द्वारकामाई मंदिर’ लिख दिया गया है। साथ ही मंदिर परिसर में दिशा बताने वाले बोर्ड और महत्वपूर्ण जगहों के कई साइन बोर्ड भी भगवा रंग में रंग दिए गए हैं।

Sai Institute के पूर्व अधिकारी ने कहा- यह भटकाव है

एक और खास बात यह है कि साईंबाबा समाधि के शताब्दी समारोह में हाल ही में स्थापित किए गए साईं ध्वज-स्तंभ पर भी ॐ बना दिया गया है। लोगों का कहना है कि साईंबाबा के सर्वधर्म समभाव के मुताबिक स्तंभ पर सर्वधर्म के प्रतीक होने चाहिए थे। साईं संस्थान शिर्डी के पूर्व प्रशासकीय अधिकारी सुभाष जगताप इसे साईं के सिद्धांतों से भटक जाना बताते हैं। वे कहते हैं, "साईंबाबा कहते थे कि राम-रहीम एक हैं, हिंदू-मुस्लिम एकता होगी तो ही परमार्थ साधा जा सकेगा। मानवता ही उनका धर्म था। यही वजह है कि उनके भक्तों में हर जाति-धर्म के लोग हैं। साईं सच्चरित्र में भी इसका उल्लेख है। बाबा की अनुमति से द्वारकामाई पर लगाए गए भगवा और हरे ध्वज इसी का प्रतीक हैं। वहां पूजा तो शुरू से ही हिंदू पद्धति से होती रही है लेकिन, हाल के वर्षों में सनातनी प्रभाव बढ़ा है।'

शिर्डी गजेटीयर के लेखक प्रमोद आहेर आरोप लगाते हैं कि साईंबाबा पर एक धर्म का लेबल लगाने का सुनियोजित प्रयास नजर आता है। वे बताते हैं, "शताब्दी वर्ष के मौके पर कुंभ मेलेे की तर्ज पर ध्वज-स्तंभ बनाया गया। उस पर त्रिशूल और ॐ के चिह्न हैं। जबकि सारे धर्मों के प्रतीक चिह्न बनाए जाने थे।'

भगवाकरण से साईंबाबा के देश-विदेश के भक्त खासे दु:खी हैं। ऐसी ही एक भक्त अमेरिकन एयरवेज में अधिकारी मिस क्लॉड रॉड्रीगेज हैं। वे न्यूयॉर्क में रहती हैं। कहती हैं, "मंदिर परिसर में ‘सबका मालिक एक’ की जगह ‘ॐ’ शब्द कहां से आया। मैं ईसाई हूं, अमेरिका में हर रविवार को पूरे परिवार के साथ साईंबाबा के मंदिर जाती हूं। वहां सारे देवताओं के दर्शन का संतोष मिलता है। लेकिन शिर्डी आने पर इस विवाद और लेंडी बाग में निर्मित ध्वज-स्तंभ पर सिर्फ ‘ॐ’ देखकर दुख हुआ।'

शिर्डी साईंबाबा संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (आईएएस) रूबल अग्रवाल गुप्ता इस पर कहती हैं कि शताब्दी वर्ष पर निर्मित ध्वज-स्तंभ के डिजाइन को साईं संस्थान के ट्रस्टियों की बैठक में मंजूरी दी गई थी। संस्थान प्रशासन तो न्यास मंडल के फैसले को ही अमल में लाता है। साईं मंदिर में साइन बोर्ड में परिवर्तन को लेकर भक्तों की कोई शिकायतें मिली तो हम न्यास मंडल की अगली बैठक में उन्हें रखेंगे। इसी तरह ‘सबका मालिक एक’ संदेश की उपेक्षा होने की किसी ने शिकायत की, तो उसे भी हम न्यास मंडल के समक्ष उठाएंगे।

पिछले साढ़े चार साल में इस तरह बदला Sai Baba's message और Shirdi को

2013|ट्रस्ट के प्रकाशनों में "ॐ श्री साईंनाथाय नम:' - 
साईं संस्थान के सारे प्रकाशनों और साईंबाबा के फोटो पर हमेशा ‘सबका मालिक एक’ का संदेश रहता था। पर 2013 के बाद से ‘ॐ साईंनाथाय नम:’ ने उसकी जगह ले ली है। साईं संस्थान की डायरी और साईंसच्चरित्र में भी पिछले चार साल से यही प्रकाशित होने लगा है।

2017|द्वारकामाई मस्जिद अब द्वारकामाई मंदिर - 

साईंबाबा के जमाने से ही उनके रहने के स्थान का उल्लेख द्वारकामाई मस्जिद के नाम से होता रहा है। पर 2017 के बाद मस्जिद हटाकर इसे द्वारकामाई मंदिर कर दिया गया। पहले यह बोर्ड काले रंग का होता था। पर अब सफेद बोर्ड पर भगवा रंग से लिखा जा रहा है।

2018| साई ध्वज-स्तंभ पर भी सिर्फ ॐ का चिह्न - 

साईंबाबा समाधि के शताब्दी वर्ष यानी इसी साल साईं मंदिर में स्थापित ध्वज स्तंभ पर सिर्फ ॐ का चिह्न बना है। भक्तों का कहना है कि इस पर साथ में अन्य धर्मों के चिह्न भी बनाए जा सकते थे। यहां साइनबोर्ड भगवा रंग दिया गया है। पहले ये काले एवं नीले होते थे।

ट्रस्ट में होने चाहिए 17 सदस्य, अभी 6, सभी भाजपाई - 

दरअसल मौजूदा राज्य सरकार पर साईं संस्थान के भगवाकरण का आरोप है। 2004 में कांग्रेस सरकार ने साईंबाबा मंदिर सरकारी नियंत्रण में ले लिया था। इसके बाद राज्य के विधि व न्याय विभाग ने ट्रस्ट के बोर्ड में नियुक्ति के नियम बनाए। ट्रस्टियों की नियुक्ति राज्य सरकार का विधि और न्याय मंत्रालय करता है। न्यासमंडल में 17 न्यासियों की नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन फिलहाल 6 सदस्य ही हैं, जिनकी नियुक्ति जुलाई 2016 में राज्य की भाजपा सरकार ने की है। यह सभी भाजपा से जुड़े लोग हैं।

शिर्डी के साईंनिर्माण ग्रुप के अध्यक्ष विजय कोते कहते हैं कि साईंबाबा के जमाने से लेकर साईं संस्थान का निर्माण होने तक और साईं समाधि के बाद 99 साल तक शिर्डी साईंमंदिर में सर्वधर्म समभाव को ही महत्व दिया गया। इससे पहले यहां की धार्मिक गतिविधियों व वातावरण में कभी सरकार ने दखल नहीं दिया। 2004 से 2012 तक साईं संस्थान में ट्रस्टी रहे सुरेश वाबले पाटील कहते हैं कि जब से साईं संस्थान की स्थापना हुई तब से 2016 तक शिर्डी में "सबका मालिक एक' संदेश का पालन किया गया। लेकिन भाजपा सरकार में नियुक्त संस्थान के ट्रस्टियों ने भगवाकरण करने का काम किया। हालांकि आरोपों पर जब भास्कर ने ट्रस्टियों से बात की तो उन्होंने चुप्पी साध ली।

दरअसल भाजपा सरकार द्वारा न्यासियों की नियुक्तियां नियमानुसार न होने को लेकर एक साईं भक्त ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट ने सरकार को जांच के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को कायम रखा। बीती 20 नवंबर को समिति का गठन किया गया है जो जांच करेगी कि साईं संस्थान के ट्रस्टियों की नियुक्ति नियमानुसार हुई है अथवा नहीं।

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