नई दिल्ली। बिहार के पुलिस विभाग में हुए सिपाही आंदोलन के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने 175 पुलिस कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दीं हैं। इनमें 77 महिलाएं भी शामिल हैं। याद दिला दें कि डेंगू पीड़ित एक महिला पुलिस कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद करीब 400 पुलिस कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और तानाशाही करने वाले अधिकारियों के वाहनों में तोड़फोड़ कर दी। पुलिस मुख्यालय ने 23 कर्मचारियों को सस्पेंड भी किया है।
175 रंगरूटों के अलावा जिन आठ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया वे जांच में उपद्रव भड़काने के दोषी पाए गए। जिन 23 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है उनमें से तीन ट्रेनी सविता को बीमार होने के बावजूद छुट्टी नहीं देने के दोषी पाए गए। बाकी 20 या तो ड्यूटी पर गैरहाजिर थे या उन्होंने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश नहीं की। आईजी नैयर हसनैन खान, एसएसपी मनु महाराज और अन्य पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में दर्ज चार केसों की समीक्षा के बाद बर्खास्तगी का आदेश दिया।
आंदोलनकारियों को दंगाईयों के तहत दर्ज किया गया
बर्खास्त पुलिसकर्मियों पर हत्या का प्रयास, दंगा करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, अधिकारियों पर हमला करने जैसे संगीन आरोप हैं। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। वहीं, उनमें से कुछ ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि वे इस कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी में।
93 मुंशी और अफसरों का हो सकता है तबादला
जांच में पता चला कि घटना के पीछे विभाग के कुछ ऐसे कर्मचारियों और अफसरों के प्रति नाराजगी भी है जो वहां 10-12 साल से जमे हुए हैं। एसएसपी ने ऐसे 93 पुलिसकर्मियों की सूची आईजी को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो इनका भी तबादला तय है।
डेंगू से हुई थी सविता की मौत
पटना पुलिस लाइन में शुक्रवार को सविता नाम की एक महिला पुलिसकर्मी की डेंगू की वजह से मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों ने हंगामा कर दिया था। उनका आरोप था कि महिला पुलिसकर्मी को छुट्टी नहीं दी गई, जिसके कारण उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ी और मौत हो गई। बवाल के दौरान पुलिसकर्मियों ने एसपी-डीएसपी को पीटा था।
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