भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के निदेशक आरएस राजपूत ने अपने विभागों के प्रोफेसरों को निर्देश जारी किए हैं कि वे मूल्यांकन के दौरान किसी भी विद्यार्थी को 30 से 80 के बीच में अंक आवंटित करें। निदेशक राजपूत के निर्देश ने एचओडी को पशोपेश में डाल दिया है।
आरजीपीवी के निदेशक राजपूत ने यूआईटी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ मनमानी करना शुरू दिया है। वे उनकी प्रतिभा के साथ भेदभाव करने की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में निदेशक राजपूत ने चार विभागों में पहुंचकर उनके एचओडी और प्रोफेसरों को निर्देशित किया है कि वे मूल्यांकन के दौरान विद्यार्थियों को तीस से 80 के बीच के अंक ही आवंटित करें। इससे ज्यादा अंक देने की जरूरत नहीं हैं। मैं जैसा कहूंगा वैसा ही तुम लोगों को करना होगा। मेरे मुताबिक ही विद्यार्थियों को अंक आवंटित करना होंगे। निदेशक राजपूत के निर्देश सुनकर प्रोफेसरों की हवाईयां उड़ गई हैं।
फरमान निदेशक का होने के कारण वे इंकार भी नहीं कर सकें। यहां तक वे कुलपति सुनील कुमार गुप्ता और रजिस्ट्रार सुरेश कुमार जैन से शिकायत दर्ज करवा चुके हैं। प्रोफेसरों ने ये बात विद्यार्थियों को जरूर बता दी है। इसलिए इस संबंध में विद्यार्थी राजभवन में निदेशक राजपूत के खिलाफ शिकायत करने की बात कह रहे हैं। बता दें कि यूआईटी में फाइनल ईयर के एग्जाम खत्म हो गए हैं। तीसरे वर्ष की परीक्षाएं चल रही हैं। वहीं, प्रथम और तीसरे वर्ष की परीक्षा शुरू होने वाली हैं। इसके बाद उनका मूल्यांकन कार्य शुरू हो जाएगा। इसके पहले भी निदेशक राजपूत ने पिछली परीक्षाओं के रिजल्ट में लेटलतीफी की थी, जिसके कारण विद्यार्थियों को कॉलेज और ब्रांच ट्रांसफर का काफी समय तक इंतजार करना पड़ा था।
फरमान निदेशक का होने के कारण वे इंकार भी नहीं कर सकें। यहां तक वे कुलपति सुनील कुमार गुप्ता और रजिस्ट्रार सुरेश कुमार जैन से शिकायत दर्ज करवा चुके हैं। प्रोफेसरों ने ये बात विद्यार्थियों को जरूर बता दी है। इसलिए इस संबंध में विद्यार्थी राजभवन में निदेशक राजपूत के खिलाफ शिकायत करने की बात कह रहे हैं। बता दें कि यूआईटी में फाइनल ईयर के एग्जाम खत्म हो गए हैं। तीसरे वर्ष की परीक्षाएं चल रही हैं। वहीं, प्रथम और तीसरे वर्ष की परीक्षा शुरू होने वाली हैं। इसके बाद उनका मूल्यांकन कार्य शुरू हो जाएगा। इसके पहले भी निदेशक राजपूत ने पिछली परीक्षाओं के रिजल्ट में लेटलतीफी की थी, जिसके कारण विद्यार्थियों को कॉलेज और ब्रांच ट्रांसफर का काफी समय तक इंतजार करना पड़ा था।