भोपाल। राजनीति क्या कुछ नहीं करवाती। कभी जातिवाद की राजनीति करवाती है तो कभी जातिवाद की राजनीति के कारण मिले आरक्षण का लाभ लेने के लिए जातिवाद को गलत बताने के लिए मजबूर भी कर देती है। शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट से भाजपा के बागी प्रत्याशी पूर्व विधायक रमेश खटीक का हाल कुछ ऐसा ही है।
भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक रमेश खटीक करैरा से चुनाव लड़ना चाहते थे।
करैरा सीट आरक्षित है, इसलिए रमेश खटीक एक बार प्रत्याशी बने और फिर विधायक भी बन पाए।
2013 का चुनाव हार गए थे इसलिए इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया।
रमेश खटीक ने बगावत का ऐलान कर दिया।
सपाक्स पार्टी ज्वाइन की और चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी।
अब धर्मसंकट यह था कि सपाक्स पार्टी तो जातिवाद के खिलाफ है। प्रमोशन में जाति के आधार पर आरक्षण, सरकारी नौकरियों एवं योजनाओं में जातिवाद पर आधारित आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट में मोदी सरकार द्वारा किए गए संशोधन के खिलाफ उठे आंदोलन के कारण ही सपाक्स का जन्म हुआ। इधर रमेश खटीक खुद जातिवाद पर आधारित आरक्षण के कारण कद्दार नेता बन पाए। जातिवाद पर आधारित आरक्षण के कारण ही वो विधायक भी बने।
सपाक्स पार्टी ज्वाइन करने के बाद जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो खटीक बोले: इस पर खटीक ने कहा कि सपाक्स की विचारधारा बिल्कुल सही है। एससी-एसटी एक्ट के मामले में बिना जांच गिरफ्तारी पर रोक के मामले में सुप्रीमकोर्ट का फैसला बिल्कुल सही था। उन्होंने कहा कि वह जातिगत आरक्षण के भी विरोध में हैं। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए।
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