सर्दियों का मौसम आ गया है और हममें से अधिकतर लोग सर्दी-जुकाम और खांसी से परेशान होकर अपने डॉक्टरों के पास एंटीबायोटिक्स लेने पहुंच जाते हैं, जबकि हमें इनकी जरूरत ही नहीं होती है। दरअसल, लगातार एंटीबायोटिक्स लेकर आप अपने ही इम्यून सिस्टम से समझौता कर रहे हैं। सच्चाई ये है कि सर्दी-जुकाम के मामले में आपका डॉक्टर वही सलाह देगा जो आपका फार्मसिस्ट देता है- जैसे आराम करिए, चाय, सूप लीजिए और यह अपने आप ठीक हो जाएगा। खराब गले, साइनस इन्फेक्शन, सर्दी, जुकाम और खांसी से लगातार परेशान हैं तो आपको कुछ बातों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए।
यूके मेडिकल वॉचडॉग पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 38 फीसदी लोग सर्दी, जुकाम, खांसी होने पर अपने डॉक्टरों से एंटीबायोटिक की मांग करते हैं। PHE रिपोर्ट के मुताबिक, एंटीबायोटिक्स बैक्टीरियल इन्फेक्शन के गंभीर खतरे से निपटने के लिए जरूरी है लेकिन सर्दी, खांसी, गले की समस्याओं के लिए इन्हें लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि ये बीमारियां बिना किसी दवाई के खुद ही ठीक हो सकती हैं।
लगातार एंटीबायोटिक्स लेने से नुकसानदायक बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसका मतलब ये है कि कई बार जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक्स काम नहीं कर पाता है। यह केवल किसी एक व्यक्ति की समस्या नहीं है बल्कि यह अब वैश्विक समस्या बन चुकी है।
जब हमें एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत नहीं होती है तब भी हम एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, ऐसे में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस चिंता का विषय बन गया है। PHE का अनुमान है कि अगर एंटीबायोटिक्स का असर ऐसे ही खत्म होता रहा तो 30 लाख सर्जरियां, हिप और नी रिप्लेसमेंट और कैंसर के इलाज में गंभीर खतरे हो सकते हैं।
एंटीबायोटिक्स हमारे गट बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचाते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट कैथरीन पारदो कहते हैं, 'एंटीबायोटिक्स, इन्फेक्शन के जिम्मेदार खराब बैक्टीरिया को खत्म करने के चक्कर में अच्छे बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं।'
अधिकतर लोगों को पेंसिलीन और एमॉक्सीलिन जैसे एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दी जाती है जबकि इनकी कोई जरूरत नहीं होती है। नतीजा यह होता है कि खराब बैक्टीरिया के साथ-साथ गट के अच्छे बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं।
पारदो कहते हैं, अगर आप नियमित तौर पर एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं तो आप यकीनन अपने गट बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गट में कई सारे इम्यून सेल्स होती हैं जो आपको बीमारी पैदा करने वाले कारकों से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
आपके आंत की दीवार पर 70 फीसदी ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो आपके इम्यून सिस्टम को बनाती हैं. इन कोशिकाओं को 'पेयर्स पैचेस' कहा जाता है जो छोटी आंत की म्यूकोस मेम्ब्रेन्स को सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये सफेद रक्त कोशिकाओं को रिलीज कर इन्फेक्शन से बचाती हैं।
यहीं पर हेल्दी बैक्टीरिया का काम शुरू होता है क्योंकि अच्छे बैक्टीरिया बी कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं और इनकी वृद्धि में मददगार होते हैं। ये कोशिकाएं नुकसानदायक वायरसों और बैक्टीरिया से लड़ने में असरदार होती हैं।
अगर आप एंटीबायोटिक्स लेते हैं तो जितनी बार भी आपको सर्दी जुकाम होता है, उतनी बार आप हेल्दी बैक्टीरिया को साफ कर रहे होते हैं। पेट में नुकसानदायक बैक्टीरिया को पनपने का माहौल मिलता है और स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया की वृद्धि रूक जाती है।
यह एक खतरनाक चक्र बन जाता है। आप छोटी सी बीमारी के लिए एंटीबायोटिक्स लेकर अपने इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देते हैं और फिर आपको और भी जल्दी-जल्दी सर्दी जुकाम होने लगता है. फिर ये सर्दी-जुकाम जल्दी जाता भी नहीं है।
अब आप सोच रहे होंगे तो फिर क्या करें? डॉक्टरों की सलाह है कि अगर एंटीबायोटिक्स लेना मजबूरी है तो इसके बाद प्रोबायोटिक्स जरूर लें जिससे एंटीबायोटिक्स से खत्म हुए अच्छे बैक्टीरिया फिर से वापस आ सकें। प्रोबायोटिक्स एक ही तरह के नहीं होते हैं। अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग प्रोबायोटिक्स होते हैं। उदाहरण के तौर पर, यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन्स (UTI) के इलाज में कोई प्रोबायोटिक मददगार होती है तो इरिटेबल बोल सिन्ड्रोम (IBS) में कोई दूसरी।
माइक्रोबायोम के ठीक से काम करने के लिए जरूरी है कि आपकी जीवनशैली भी अच्छी हो। तनावमुक्त रहें, प्रोसेस्ड फूड और शुगर इनटेक में कमी लाएं और एक्सरसाइज करें।
इसके अलावा जितना संभव हो सकें एंटीबायोटिक्स लेने से बचने की कोशिश करें ताकि जब आपको वाकई उनकी बहुत जरूरत हो तो वे असरदार साबित हों।
अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए अपने हाथों को गुनगुने पानी से धोएं, एक्सरसाइज करें, मल्टी कलर्ड फ्रूट्स और सब्जियां खाएं और अगर धूप में नहीं जा पा रहे हैं तो विटामिन डी सप्लीमेंट्स लें।
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