उज्जैन। भाजपा में विद्रोह अनकंट्रोल्ड हो गया है। 150 से ज्यादा सीटों पर इस बार भितरघात का खतरा तो है ही लगभग 50 सीटों पर खुली बगावत भी चल रही है। पार्टी को भरोसा था कि बागियों को मना लिया जाएगा परंतु ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। उज्जैन में बागियों को शांत कराने पहुंचे सांसद प्रभात झा को बागियों ने कार्यालय पहुंचने से पहले ही रोक लिया। प्रभात झा मामले को सुलझा नहीं पाए और वापस लौट आए।
नामांकन जमा करने के बाद पार्टी ने टिकट काट दिया था
5 नवंबर को जारी लिस्ट में मौजूदा विधायक मुकेश पंड्या का टिकट काटकर पूर्व विधायक उदयसिंह पंड्या के बेटे जितेंद्र पंड्या काे मौका दिया था। शुक्रवार को संजय शर्मा को टिकट दे दिया। शुक्रवार को जितेंद्र पंड्या नामांकन रैली की तैयारियों में जुटे हुए थे। वह अपनी पूरी तैयारी के साथ वकील व जिला पंचायत सदस्य जगदेव सिंह राठौर, जनपद सदस्य कुलदीप बना, चुनाव प्रबंधक जय प्रकाश त्रिवेदी, पूर्व नपाध्यक्ष नरेंद्र राठोर के साथ 11.35 बजे नामांकन दाखिल करने पहुंचे। नामांकन दाखिल करने के बाद जब वे रिटर्निंग आफिसर कार्यालय के बाहर आए तब तक हरिहर गार्डन में उनके तीन-चार हजार समर्थकों की भीड़ जुट गई थी। यहां से रैली निकालने के लिए वे पूर्व में ही परमिशन ले चुके थे। रैली शुरू हुई और विभिन्न मार्गों से होती हुई शिवाजी पथ पहुंची। यहां उन्होंने केंद्रीय चुनाव कार्यालय का उद्धघाटन किया। तब तक दोपहर के 2.30 बज चुके थे। तभी टीवी चैनल के माध्यम से उन्हें पता चला कि पार्टी ने उनका टिकट काटकर संजय शर्मा को प्रत्याशी बना दिया हैं। इस खबर के बाद पंड्या के समर्थक भड़क गए। इस खबर के बाद नाराज पंड्या पुन: रिटर्निंग आफिसर कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने रिटर्निंग आफिसर से पूछताछ की। जिस पर पता चला कि एक और बी फार्म के साथ संजय शर्मा का नामांकन दाखिल हुआ है। इसके बाद वे लौट आए और उनके समर्थकों ने उज्जैन कार्यालय पहुंचकर तोड़फोड़ की। कुर्सी गमले फ्लेक्स सहित अन्य सामान फेंक दिया।
प्रभात झा के साथ क्या हुआ
पूरे आत्मविश्वास के साथ सांसद प्रभात झा रविवार को पार्टी के निर्देश के बाद उज्जैन की बड़नगर सीट पर उपजे असंतोष को कम करने पहुंचे थे, लेकिन पार्टी कार्यालय पहुंचने से पहले ही जितेन्द्र पंड्या के समर्थकों ने उन्हें सड़क पर घेर लिया। हालांकि झा के समाझाने के बाद आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने उन्हें जाने दिया। इस घटना के बाद बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई है।