भोपाल। मतगणना में गड़बड़ियों को कैसे रोकें, इस विषय पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की वर्कशॉप आयोजित की है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और उनकी टीम प्रत्याशियों को टिप्स दे रही है। कांग्रेस ने प्रदेश की 230 सीटों में से 229 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे परंतु मीटिंग में मात्र 219 ही आए। 10 प्रत्याशी गायब हैं। अनुपस्थित प्रत्याशियों में अरुण यादव एवं रामनिवास रावत बड़े नाम हैं।
क्या हार सुनिश्चित है इसलिए नहीं आए
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को कांग्रेस ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी सीट से उतारा था। बुधनी के लिए वो बाहरी प्रत्याशी हैं। टिकट मिलने से पहले उन्हे भी नहीं पता था कि वो बुधनी से लड़ने वाले हैं। चुनाव प्रचार के दौरान सीएम शिवराज सिंह का विरोध तो दिखाई दिया परंतु अरुण यादव का समर्थन नजर नहीं आया। यादव, शिवराज सिंह को बुधनी में घेरने तक में बिफल रहे।
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पांच बार के विधायक रामनिवास रावत मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे क्योंकि उनकी अपनी सीट विजयपुर में उनका भारी विरोध था। सबलगढ़ के कांग्रेसियों ने रामनिवास रावत का इतना विरोध किया कि लास्ट मिनट में रामनिवास को विजयपुर से ही उतारना पड़ा।
उपरोक्त दोनों के अलावा 8 अनुपस्थित नाम भी ऐसे ही हैं जिनकी सीट पर या तो भितरघात हुआ है या फिर क्षेत्र में उनका भारी विरोध था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कहना है कि अनुपस्थित प्रत्याशियों से पहले ही सूचना दे दी थी। सवाल यह है कि क्या इन सभी 10 विधायकों को अपनी हार सुनिश्चित समझ आ गई है इसलिए बैठक में आकर समय और पैसा बर्बाद करने से बच रहे हैं या फिर से कमलनाथ और पार्टी से नाराज हैं एवं अपनी नाराजगी प्रदर्शित कर रहे हैं।