भोपाल। 15 साल का वनवास काट कर सत्ता में आई कांग्रेस ने प्रदेश के 11 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स की मांगें निपटाने का वचन दिया है। विधानसभा चुनाव के लिए वचन पत्र नाम से जारी किए गए चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कर्मचारियों-पेंशनर्स की 57 मांगें शामिल की हैं। इसमें कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती 1.84 लाख संविदा कर्मचारियों, अस्थाई कर्मियों को रेगुलर करना है।
अफसरों का कहना है कि सिर्फ इन कर्मचारियों को नियमित करने पर ही सरकार पर हर महीने करीब 2 अरब से ज्यादा का भार आएगा। वचन पत्र में कर्मचारियों की मांगें शामिल कराने में दो कर्मचारी नेताओं भुवनेश पटेल और वीरेंद्र खोंगल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इन दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री एवं पीसीसी चीफ कमलनाथ के साथ सबसे पहले कर्मचारी संगठनों की बैठक कराई थी।
वचन पत्र में इन प्रमुख कैडर्स के कर्मचारियों को किया है शामिल
संविदा कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी, स्टेनोग्राफर्स, शिक्षक, अनुदेशक- पर्यवेक्षक, वन कर्मी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता- सहायिकाएं, सफाई कर्मी, निगम- मंडल कर्मचारी, लेखापाल, लिपिक, स्टाफ नर्स, जन स्वास्थ्य रक्षक, अतिथि शिक्षक, प्रेरक शिक्षक, कार्यभारित कर्मचारी, सहकारी कर्मचारी, डिप्लोमा इंजीनियर्स, मंत्रालयीन कर्मचारी, कोटवार, पंचायत सचिव, जन स्वास्थ्य रक्षक आदि प्रमुख हैं।
संविदा कर्मचारी के वेतन में होगा 10 से लेकर 14 हजार रुपए का इजाफा
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि सरकार ने संविदा कर्मचारियों को रेगुलर किया तो एक संविदा कर्मचारी का मासिक वेतन 10 से 14 हजार रुपए तक बढ़ेगा। यदि एक कर्मचारी का वेतन 10 हजार रुपए भी बढ़े तो 1.84 लाख कर्मचारियों के लिए सरकार पर एक महीने का 1.84 अरब रुपए का भार आएगा।
पांच साल में किए 87 छोटे-बड़े आंदोलन
रेगुलर करने की मांग को लेकर महासंघ समेत संविदा कर्मचारियों के अलग-अलग संगठन पिछले पांच साल में 87 छोटे-बड़े आंदोलन कर चुके हैं। दो साल मेें इनके सबसे ज्यादा आंदोलन हुए।