भोपाल। और इसी के साथ किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया है। सीएम कमलनाथ ने शपथ ग्रहण करने के तत्काल बाद किसानों की कर्जमाफी की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए। फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है कि इस फाइल में क्या लिखा है और किस तरह के कर्ज माफ हुए हैं।
डिफाल्टर किसानों पर किस बैंक पर कितना कर्ज
राष्ट्रीयकृत बैंक : 2.22 लाख किसानों पर 4,312 करोड़ रुपए।
सहकारी बैंक : 17.13 लाख किसानों पर 8,800 करोड़ रुपए।
आरआरबी : 1.39 लाख किसानों पर 1,381 करोड़ रुपए
अन्य बैंक : 0.44 लाख किसानों पर 651 करोड़ रुपए।
(राष्ट्रीय कृत बैंकों पर प्रति किसान औसत कर्ज एक लाख 96 हजार रुपए सर्वाधिक, सबसे कम 49 हजार 701 रुपए सहकारी बैंकों के किसानों पर।)
बैंकों को कैसे देंगे
बांड जारी करके राशि जुटाई जा सकती है। सभी बैंकों के कर्ज को स्ट्रक्चर्ड (टुकड़ों में बांटकर) करके हर साल या छह माह में एक बार राशि बैंकों को दी जाएगी।
पंजाब : 5-5 जिला जोन बनाए
सहकारी बैंकों को प्राथमिकता दी। राष्ट्रीयकृत व निजी क्षेत्र के बैंकों को दूसरे चरण में रखा।
किसानों की दो कैटेगरी बनाई। एक 2.5 एकड़, दूसरी 5 एकड़ वाली।
पहले चरण में 2.5 एकड़ वाले 3.20 लाख किसानों का दो लाख तक कर्ज माफ किया। यह राशि 1680 करोड़ रही। इसमें भी जिलों के क्लस्टर बनाए। यानी 5-5 जिले कर कर्ज माफी की जा रही है।
दूसरे चरण में 2.5 से 5 एकड़ तक के किसानों का कर्ज माफ होगा।
7 जनवरी 2018 से यह प्रक्रिया
चल रही है। ग्राम पंचायतों में अंतिम दावा सूची प्रस्तुत की।
महाराष्ट्र : 1.50 लाख तक के बकायादारों को लिया
अप्रैल 2012 के बाद के डिफाल्टर किसानों को लिया।
चालू फसल ऋण पर 25 हजार रु. या 25% जो भी कम हो, दिया गया। पहले प्रति परिवार की शर्त लगाई थी, बाद में हटाई।
ऑन लाइन आवेदन लिए गए, जिला स्तरीय समिति बनाकर नाम तय किए गए। ग्रीन लिस्ट पोर्टल पर अपलोड की।
उत्तर प्रदेश : एक से दो हेक्टेयर तक को लिया
31 मार्च 2016 तक के बकायादार किसानों के खाते आधार से लिंक कराए और एक लाख रु. तक का कर्ज माफ किया। कुल 85 लाख किसान प्रदेश में हैं, जिसमें से डिफाल्टरों का 7000 करोड़ रुपए और करंट अकाउंट का 36 हजार करोड़ रु. कर्ज माफ होगा।
कर्नाटक : 2009 के बाद वालों को लाभ
अप्रैल 2009 के बाद के पात्र किसानों का प्रति परिवार 2 लाख रु. कर्ज माफ। चालू कृषि ऋण वाले किसानों को 25 हजार रु. या लिया गया कर्ज, जो भी कम हो, की प्रोत्साहन राशि दी गई। बैंकों से डाटा लिया और जिला स्तर पर कमेटी बनाकर सत्यापन कराया।