भोपाल। देश भर में प्रख्यात एवं जैन समाज में देवतुल्य पूज्यनीय मुनिश्री विद्यासागर जी महाराज को 28 किलोमीटर पथरीले रास्ते पर चलाया गया। रास्ता इतना अधिक ऊबड़-खाबड़ और पथरीला था कि उनके संघ में चल रहे मुनियों के पैर घायल हो गए लेकिन वो मुनिश्री के साथ चलते रहे और यात्रा पूरी की। यात्रा पूरी होने के बाद बवाल मच गया क्योंकि सारी गलती व्यवस्थापकों की थी।
दरअसल, विद्यासागरजी को ललितपुर से देवगढ़ पहुंचने के बाद मुंगावली जाना था। व्यवस्थापकों से कहा गया कि वे नजदीक का रास्ता खोजें, जिससे जल्द पहुंचा जा सके। व्यवस्थापकों ने जो मार्ग बताया सभी उसी पर आगे बढ़ गए। विद्यासागरजी महाराज ने तो सब सह लिया पर उनके साथ नए 10 संतों के तलवों में छाले पड़ गए। कुछ के तलवे छिल गए। बावजूद इसके कोई भी संत न वापस हुआ और न आगे बढ़ने से रुका।
वाहन से दूरी नापी और विकल्प दे दिया
व्यवस्थापकों ने इस बात को तो ध्यान में रखा कि आचार्य श्री जल्द मुंगावली पहुंच जाएंगे परंतु वे यह भूल गए कि नए संतों को इस मार्ग पर चलने में कितनी कठिनाई होगी। मुंगावली निवासी जैन समाज के सदस्य रूपेश मुंगावली ने बताया कि व्यवस्थापकों से कहा गया था कि मुंगावली जाने के लिए जो रास्ता नजदीक हो, वे उसकी जानकारी पता कर बताएं। व्यवस्थापक वाहनों से निकले और रास्ते के बारे में पता कर आए।
व्यवस्थापकों ने बताया ही नहीं रास्ता पथरीला है
रूपेश मुंगावली ने बताया कि व्यवस्थापक मुश्किलों को समझ नहीं पाए। मूंगावली की दूरी मुख्य मार्ग से 48 किमी और वैकल्पिक मार्ग से 28 किमी है। इस मार्ग को नदी पार कर जाना होता है, यहां एक पुराना पुल हुआ करता था, जिस पर चलकर घुटने तक के पानी से नदी को पार किया जा सकता है। रूपेश ने बताया कि व्यवस्थापकों ने यह नहीं बताया कि छोटा रास्ता पथरीला है और नदी भी है, जिसे नाव से पार करना होगा।
सब आगे बढ़ते गए
भोपाल के संजय मुंगावली ने बताया कि साधु व्यवस्थापकों द्वारा दी गई जानकारी पर भरोसा कर आगे बढ़ते गए। रास्ते में उन्हें समझ में आ चुका था कि जो लोग रास्ता देखने आए थे, वे वाहन से उतरे नहीं। बगैर पैदल चले ही दूरी नाप कर बता दी।