इंदौर। सड़क हादसे में मौत होने के बावजूद परिजन बगैर पोस्टमार्टम कराए ही फौजी का शव इंदौर (महू) लेकर आ गए और अंतिम संस्कार कर दिया था। बावजूद इसके कोर्ट ने क्लेम केस को सही माना। महू निवासी दिलीप गुर्जर भारतीय सेना में सूबेदार थे। उनकी पोस्टिंग जोधपुर में थी। 13 जून 2014 को वे जोधपुर में दोस्त के साथ बाइक से जा रहे थे। डीपीएस चौराहे पर ट्रैक्टर (आरजे-19 आरए 1106) की टक्कर से घायल हुए दिलीप की इलाज के दौरान निजी अस्पताल में मौत हो गई।
महू में रह रहे दिलीप के परिजन को सेना के अधिकारियों के जरिए हादसे की खबर मिली। वे जोधपुर पहुंचे और शव महू लाकर अंतिम संस्कार कर दिया। सड़क हादसे में जान गंवाने वाले फौजी के परिजन को जिला कोर्ट ने 59 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। दिलीप की पत्नी अनीताबाई, उनकी एक साल की बेटी भुवनेश्वरी, पिता भंवरसिंह और अवयस्क भाई गणेश व भूरालाल ने ट्रैक्टर का बीमा करने वाली नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ( National Insurance Company ) के खिलाफ 80 लाख रुपए का क्लेम केस दायर किया।
बीमा कंपनी के तर्क किए खारिज / The insurance company's arguments were rejected
फरियादियों की तरफ से एडवोकेट किशोर गुप्ता और गौतम गुप्ता ने पैरवी की। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए मुआवजा देने से इंकार कर दिया कि शव का बगैर पोस्टमार्टम कराए अंतिम संस्कार किया गया था। कंपनी ने यह तर्क भी रखा कि फरियादियों की तरफ से कोई भी चश्मदीद गवाह के बयान नहीं कराए गए। ऐसे में घटना पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
जज तनवीर अहमद ने बीमा कंपनी के तर्क खारिज करते हुए आदेश दिया कि कंपनी मृतक के परिजन को 58.85 लाख रुपए बतौर मुआवजा अदा करे। कोर्ट ने बीमा कंपनी को अवार्ड राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अदा करने के आदेश भी दिए।