श्याम जाटव/नीमच। जिले का किसान हैरान-परेशान है। प्याज और लहसुन के दाम पर्याप्त नहीं मिलने से तंगहाली-बदहाली में पहुंच गया। कई किसानों ने भाव ज्यादा मिलने की उम्मीद में खरीफ की सीजन मेें प्याज की बोवनी की थी। लेकिन जब MANDI में प्याज बेचने गए थे भाव सुनकर सन्न रहे गए। प्याज के साथ-साथ लहसुन के भाव भी लुढ़क गए।
प्याज के भाव 50 पैसे प्रति किलो होने से किसान का लागत मूल्य तो दूर मंडी में लाने ले जाने का भाड़ा भी निकालना मुश्किल हो गया। इसके साथ ही लहसुन भी प्रति किलो 2 रूपए के भाव में बिक रही है। किसान कम कीमत पर अपनी उपज बेचने के बजाय लावारिस स्थान पर फेंकने पर मजबूर हो रहे है।
मुनाफा कमाने के लिए बोए थे प्याज
जानकारी के अनुसार बारिश के मौसम में यानि खरीफ सीजन में बंपर उत्पादन के लिए कई एकड़ में किसानों ने प्याज की बोवनी की थी। किसान ने 5 महीने बाद प्याज खेत से निकालकर मंडी ले जा रहे है लेकिन भाव 50 रूपए क्विंटल होने से दु:खी है। पिछले इसी सीजन में किसान ने 40 से 50 रूपए प्रति किलो के भाव में प्याज बेचा था। इस बार भी ज्यादा भाव मिलनेे की आस में अधिक रकबे में प्याज की बुवाई की। वहीं अचानक लहसुन 200 रूपए प्रति क्विंटल होने से किसान को लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है।
क्या कहते KISSAN
बसेड़ी भाटी ग्राम पंचायत पूर्व सरपंच कालूराम पाटीदार ने बताया बाहर से प्याज आयात होने से किसान को वाजिब दाम नहीं मिल रहा। स्थिति यह हो गई किसान को उचित भाव नहीं मिलने की दशा में प्याज-लहसुन फेंकना पड़ रहा है। ग्राम बरूखेड़ा निवासी किसान प्रकाश माली ने कहा कि दो दिन पहले प्याज के दाम गिरे अब लहसुन भी औंधे मुंह गिर गई। केंद्र सरकार को अन्नदाता के लिए समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए।
कनावटी निवासी महेश पाटीदार कहना है किसान को अपनी उपज का लागत मूल्य तो मिले। सरकार किसान हित की नीति बनाएं। जिससे किसान को आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर विवश नहीं होना पड़े। पिछले साल लहसुन के दाम 6 से 20 हजार तक थे। इस बार ज्यादा हालत खराब हैं।