भोपाल। नेशनल हेल्थ बुलिटिन की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल में सबसे ज्यादा गर्भपात हो रहे हैं। यह मध्यप्रदेश के औसत से 9 प्रतिशत ज्यादा हैं। मध्यप्रदेश में गर्भपात का प्रतिशत करीब 4 है जबकि भोपाल में यह करीब 13 प्रतिशत हो जाता है। सवाल यह है कि ये गर्भपात क्यों हो रहे हैं। क्या भोपाल में कन्या भ्रूण हत्याएं हो रहीं हैं या फिर अवैध रिश्तों के कारण ठहरे अनचाहे गर्भ को गिराया जा रहा है। कारण कुछ भी हो, हालात चिंताजनक हैं।
राजधानी किसी भी प्रदेश का आदर्श शहर होती है। जहां के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ लोगों की मानसिकता को भी विकसित समझा जाता है। शादी से पहले शारीरिक संबंध और लिव इन रिलेशनशिप को भी भोपाल जैसे शहरों में स्वीकार किया जा रहा है। बावजूद इसके गर्भपात का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। यह मध्यप्रदेश के किसी भी शहर से आगे निकल गया है। मध्यप्रदेश के सबसे विकसित शहर इंदौर से भी ज्यादा। सवाल यह है कि क्या लोग यहां असुरक्षित यौन संबंध बना रहे हैं, जो एड्स का भी कारण बन सकते हैं।
क्या कहते हैं कि अप्रैल से सिंतबर के एनएचएम आंकड़े
34,913 महिलाओं ने एंटी नेटल रजिस्ट्रेशन कराए
4,458 महिलाओं के अबॉर्शन हुए जो कुल प्रेगनेंसी के 12.8% है
पूरे एमपी का प्रेगनेंसी लॉस 3.8 प्रतिशत है
निष्कर्ष: भोपाल में एमपी की तुलना में 9% ज्यादा अबॉर्शन होते हैं
कहीं भोपाल में कन्या भ्रूण हत्याएं तो नहीं हो रहीं
भोपाल शहर मेडीकल माफिया की जकड़ में आ चुका है। यह बताने की जरूरत नहीं। कुछ गोपनीय रिपोर्ट यह भी बता रहीं हैं कि इस शहर में संक्रामक रोग फैलाए जाते हैं ताकि अस्पतालों का धंधा चलता रहे और दवाईयां बिकतीं रहें। कन्या भ्रूण हत्या, ऐसे ही माफिया और अपराधी किस्म के डॉक्टरों का काम होता है। वो पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। सवाल यह है कि क्या भोपाल में कन्या भ्रूण हत्याएं बढ़ रहीं हैं। क्या स्थानीय प्रशासन भी इस रैकेट से उपकृत हो रहा है।
कन्या भ्रूण हत्या: संदेह क्यों किया जा रहा है
सतना में 1000 लड़कों पर सबसे कम 867 लड़कियां हैं। क्योंकि यहां लोग दकियानूसी विचार वाले हैं।
होशंगाबाद में 1000 पर हैं 876 लड़कियां जन्म ले रहीं हैं। क्योंकि यहां ग्रामीण अंचल काफी है और पुरानी विचारधारा वाले हैं।
तीसरे नंबर पर राजधानी भोपाल जहां 1000 लड़कों की तुलना में सिर्फ 880 लड़कियां जन्म ले रहीं हैं। यहां कोई दकियानूसी परंपरा नहीं है। यहां समाज और गांव जैसा कुछ भी नहीं है।