भोपाल। एस्सेल फ्रंट लाइन लिमिटेड के मैनेजर लक्ष्मीकांत पाराशर पिछले 1 साल से टीआई के सपोर्ट के चलते कोर्ट की कार्रवाई से बच रहे थे। उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ था परंतु टीआई एमपी नगर उसे तामील ही नहीं कर रहे थे। उल्टा कोर्ट को गुमराह कर रहे थे। अब CORT ने एसपी भोपाल को आदेशित किया है कि वो लक्ष्मीकांत की गिरफ्तारी सुनिश्चित करवाएं।
पुलिस ने बताया कि ऐसा कोई आदमी पते पर रहता ही नहीं
उपभोक्ता फोरम ने एमपी नगर पुलिस को वारंट तामील के लिए सौंपा था परंतु पुलिस ने लौटकर कोर्ट को बताया कि इस नाम का कोई आदमी दिए गए पते पर रहता ही नहीं है। दरअसल, यह एक ट्रिक होती है। ऐसी स्थिति में कोर्ट कोई ठोस कदम नहीं उठा पाता। स्थाई गिरफ्तारी वारंट तक एक लम्बी प्रक्रिया शुरू होती है और इस बीच अक्सर पीड़ित पक्ष परेशान होकर कोर्ट आना ही छोड़ देता है। दोनों पक्षों की अनुपस्थिति में केस खाजिर हो जाता है। इस मामले में भी ऐसी ही प्लानिंग थी।
फिर क्या हुआ / what happened then
लेकिन मामले के पीड़ित ने साजिश का पर्दाफाश कर दिया। उसने उपभोक्ता फोरम के सामने फोटो पेश करते हुए बताया कि वारंटी ना केवल उसी पते पर रह रहा है बल्कि दुकान भी जा रहा है। बता दें कि इससे पहले इसी पते पर वारंट तामील हो चुका था। मामले की सुनवाई करते हुए फोरम ने कहा कि जिस पते पर नोटिस तामील हुआ और अनावेदक पक्ष ने उसे स्वीकार किया। अब उसी पते पर पुलिस को वारंटी नहीं मिल रहा। जबकि उपभोक्ता ने कोर्ट में दुकान और वारंटी के फोटो फोरम में प्रस्तुत किए।
उपभोक्ता कोर्ट ने क्या किया / What did the consumer court do
मामले को गंभीरता से लेते हुए फोरम ने एमपी नगर थाना पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वहीं एसपी को वारंट तामील करने के जिम्मेदारी सौंपी है। फोरम ने एक वारंट की कॉपी एसपी को भी भेजी है। मामले की सुनवाई फोरम के अध्यक्ष आर के भावे और सदस्य सुनील श्रीवास्तव ने की है।
क्या है मामला / What is the matter
उपभोक्ता फोरम में शुभम शर्मा ने मैनेजर लक्ष्मीकांत पाराशर एस्सेल फ्रंट लाइन लिमिटेड के खिलाफ 15 जुलाई 2016 को परिवाद दायर किया था। इसमें शिकायत की गई थी कि शुभम ने एक संबंधित दुकान से 6,999 रुपए का मोबाइल लिया था। जब मोबाइल घर जाकर देखा तो पाया कि उसका बैक और फ्रंट कैमरा काम नहीं कर रहा था। इसे शुभम ने सुधारने के लिए दुकान पर दिया था। दुकानदार ने मोबाइल सुधार कर दिया, लेकिन समस्या बनी रही। इस पर दुकानदार ने बाद में मोबाइल सुधारने से मना कर दिया। सुनवाई करते हुए फोरम ने मैनेजर लक्ष्मीकांत पाराशर एस्सेल फ्रंट लाइन लिमिटेड मोबाइल की कीमत और 2 हजार रुपए परिवाद व्यय देने के आदेश वर्ष 2017 में दिए थे लेकिन लक्ष्मीकांत पाराशर ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।