मुंबई। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने देश भर की आस्था के केंद्र शिरडी के साईं बाबा संस्थान (Sai Baba Institute of Shirdi ) को भेंट किए गए Donation की रकम में से 500 करोड़ रुपए ले लिए। दस्तावेजों में इसे एक LOAN बताया गया है परंतु ऐसा लोन जिस पर INTREST नहीं दिया जाएगा और इसको चुकाने की कोई लास्ट डेट नहीं हैं। अनंतकाल तक यह लोन यथावत बना रहेगा और संस्थान वसूली के लिए नोटिस भी नहीं दे पाएगा।
किस नाम पर पैसा लिया BJP सरकार ने
महाराष्ट्र में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दलील दी है कि 1200 करोड़ रुपए की 'निलवंडे' सिंचाई योजना पूरी करने के लिए 500 करोड़ रुपए का बिना ब्याज का लोन लिया जा रहा है। बता दें कि इस परियोजना के लिए बनने वाली नहर से शिर्डी से करीब 125 किलोमीटर दूर स्थित अहमदनगर की कुछ तहसीलों में पानी का संकट खत्म होगा। शिर्डी, नासिक शहर, उसके निवासी या यहां आने वाले भक्तों को कोई लाभ नहीं होगा।
देश भर में अपनी तरह का पहला मामला / The first case of its kind across the country
दावा किया जा रहा है कि किसी निजी संस्थान ने सरकार को बिना ब्याज इतना बड़ा कर्ज पहली बार दिया। वो भी तब जबकि सरकार की ओर से कर्ज की वापसी के लिए समय सीमा तय नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने कुछ महीने पहले इस संबंध में ट्रस्ट से संपर्क किया था।
ट्रस्ट ने क्यों दी मंजूरी / Why the trust has given sanction
यहां बड़ा सवाल यह है कि ट्रस्ट ने इसकी मंजूरी क्यों दी। जबकि वो जानता है कि भक्तों ने सरकार को बिना शर्त अनिश्चितकाल तक का लोन देने के लिए यह दान नहीं दिया था। इसके पीछे रहस्य केवल यह बताया जा रहा है कि ट्रस्ट के चेयरमैन सुरेश हवारे भाजपा से जुड़े रहे हैं। बता दें कि सुरेश हवारे ने शिरडी में 'सबका मालिक एक' की जगह 'ॐ साईंनाथाय नम:' लिखवा दिया है। उन्होंने साईं की पहचान ही बदल दी। अब उनके श्रंगार में भगवा रंग ज्यादा होता है।
जनहित के काम में ट्रस्ट का पैसा, बुराई क्या है / What is the evil of trust in the work of public interest
पहला तो यह कि राज्य की जनता ऐसी ही जनहितकारी योजनाओं के लिए टैक्स अदा करती है।
सरकार को और अधिक पैसों की जरूरत होती है तो वो उद्योगपतियों को सस्ती दरों पर सरकारी जमीन बेचकर या कई तरह के ईवेंट करके पैसा कमाती है।
मुख्यमंत्री आम जनता से सीधे सहयोग की अपील कर सकते थे।
केंद्र में भाजपा की ही सरकार है, पूरा 1200 करोड़ केंद्र से लिया जा सकता था।
साईं के चरणों में जो दान आता है, वो केवल महाराष्ट्र का नहीं होता।
सबसे बड़ी बुराई यह है कि सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार होता ही है। इससे बेहतर था कि पूरी परियोजना साईं ट्रस्ट अपने हाथ में ले लेता और 1200 करोड़ वाली योजना को 500 करोड़ में पूरी करके दिखाता।
संदेह किया जा रहा है कि कहीं यह कमीशन के पद के दुरुपयोग का मामला तो नहीं।