आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की इस स्वीकारोक्ति के बाद कहने-सुनने को कुछ भी बाकी नहीं रह गया है | उन्होंने साफ़ कहा है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा ‘निराशाजनक' है | अब हम भले ही इसकी तुलना देश विदेश के आंकड़ों से करें | हकीकत यह है की सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जी डी पी गिरा है | इस गिरावट के परिणाम जल्दी सामने आयेंगे |
सरकारी आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही जो तीन तिमाहियों में सबसे कम है| कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी (जुलाई-सितंबर) तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही| यह पहली तिमाही की तुलना में कम है लेकिन पिछले साल की दूसरी तिमाही के मुकाबले यह ऊंची है| चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के मुकाबले कम होने के बावजूद देश की जीडीपी वृद्धि दर चीन की वृद्धि दर से आगे बनी हुई है| खुश इस बात से रहा जा सकता है कि भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की कीर्ति को बरकरार रखा है|
सरकारी आंकड़े के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रही थी| केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के बयान के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 33.98 लाख करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 31.72 लाख करोड़ रुपये पर थी| यह 7.1 प्रतिशत वृद्धि दर्शाती है| देश की आर्थिक वृद्धि दर इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही ‘अप्रैल-जून' में 8.2 प्रतिशत रही| पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही ‘जनवरी-मार्च' में यह 7.7 प्रतिशत रही| इस प्रकार सितंबर 2018 में समाप्त दूसरी तिमाही के ताजा आंकड़े 7.1 प्रतिशत तीन तिमाहियों में सबसे कम रहे हैं| यह विश्लेष्ण कहता है कहीं कुछ फेर है |
हालांकि पिछले साल की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर इससे भी कम सात प्रतिशत रही थी| चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.5 प्रतिशत रही| दूसरी तिमाही में स्थिर मूल्य (2011-12) पर देश का सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 31.40 लाख करोड़ रुपये आंका गया जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 29.38 लाख करोड़ रुपये था| यह वृद्धि 6.9 प्रतिशत रही| चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून यानी पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही| इससे पिछली जनवरी-मार्च तिमाही में यह 7.7 प्रतिशत रही थी| पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्तूबर- दिसंबर में यह 7 प्रतिशत थी| विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत और कृषि वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रही जो ठीक ठाक रही| वैसे निर्माण क्षेत्र की वृद्धि 6.8 प्रतिशत और खनन क्षेत्र में 2.4 प्रतिशत की गिरावट मानसून के महीनों की कमी दिखाता है|
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।