रथ यात्रा फीकी, क्या संघ ऐसे ही कमजोर होगा ? | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रारम्भ की गई संकल्प यात्रा फीकी दिख रही है | इस कार्यक्रम में शामिल लोगों की संख्या ऊँगली पर गिनी जा सकती है | यात्रा, सभा ,मंथन, बैठक, धर्मसभा की श्रंखला का यह कौन सा पड़ाव है किसी को याद नहीं | संघ की धार ऐसे कार्यक्रमों से कुंद  हो रही है | जिस विषय को लेकर पूरे देश में लोग उत्साहित है, उस पर ऐसा निष्प्रभावी प्रदर्शन, संकल्प शक्ति में कमजोरी की निशानी है |  

सच यह है राम मंदिर निर्माण को लेकर सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तेज है, दिल्ली में  निकली संकल्प रथ यात्रा इसका प्रमाण है | ९ दिन चलने वाली इस यात्रा की शुरुआत झंडेवालान  मंदिर से हुई| ९ दिसंबर को जब ये यात्रा ख़त्म होगी  तब विश्व हिंदू परिषद फिर एक धर्म सभा का आयोजन करेगी | सवाल यह है की अब तक हुए इस तरह के सैकड़ों आयोजनों से क्या मिला ? मुद्दा वहीँ का वही है |

कहने को इस रथ यात्रा का मकसद राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर के लोगों का समर्थन जुटाना है| गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद और संत समाज पहले से ही इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे है| इस विषय को लेकर जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा था इस यात्रा को लेकर, ज़मीन पर इसके उलट तस्वीर दिखी और मुश्किल से १००  लोग भी रथ यात्रा में शामिल नहीं हुए| इस तरह से पहले दिन संघ की रथ यात्रा दिल्ली में फ़ीकी रही| प्रश्न है क्यों ? एक विषय को लेकर बार- बार अप्रभावी प्रदर्शन आयोजन का स्वरूप, उसकी तीव्रता और परिणाम बदल देते हैं | संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों के साथ यही हो रहा है |

दरअसल, बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में 'धर्म सभा' का आयोजन करवाया था| इसमें देशभर के संतों ने हिस्सा लिया था| धर्म सभा में अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग उठाई गई थी. सरकार से मांग की गई थी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाया जाए| इसी दिन शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी अयोध्या पहुंचे थे| अयोध्या में उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था, उन्होंने कहा था कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो दोबारा भाजपा सरकार नहीं आएगी| नतीजा कुछ नहीं निकला सारा आयोजन, श्रेय किसी अन्य को न मिल जाये में सिमट गया |

संघ प्रमुख मोहन जी भागवत ने इसी समय कहा धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिये कानून लाना चाहिए| उनका स्वर बहुत धीमा था | उनके इस कथन में खनक नहीं थी , ‘एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा. अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है| अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए.'' इसके स्थान पर वे कुछ ऐसा कहते जिससे उनके स्वयंसेवक ही नहीं, सम्पूर्ण समाज उनके साथ खड़ा होने की सोचता | उन्हें भी दिल्ली के इशारे समझना होते हैं | इस रथयात्रा की संख्या भी एक इशारा है, संघ के अधिकारियों को समझना चाहिए | संघ की धाक यदि कमजोर दिखी तो ......!
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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