अयोध्या में ही नहीं पूरे देश में राम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण का मुद्दा गर्म हो रहा है | मंत्री से लेकर आम आदमी तक इस विषय पर सब कुछ छोड़ने को तैयार है | अभी की केंद्रीय मंत्री उमा भारती किसी भी क्षण इस विषय के साथ गंगा को जोडकर हठयोग करतीं नजर आ सकती है | उन्होंने एलान कर दिया है कि वे अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी | उन्होंने साफ़ किया की वे अब राममन्दिर निर्माण और अविरल निर्मल गंगा आन्दोलन के लिए अपना समय देंगी | साध्वी उमा भारती किसी भी क्षण केदारनाथ के निकट गरुड़चट्टी स्थित हनुमान गुफा में साधना करने जा सकती है। ऐेसा वह गंगा को निर्मल व अविरल रखने के लिए करेंगी। उन्होंने कहा कि राजयोग से काफी कर लिया। अब हठयोग से भी काम किया जाएगा।
उमा भारती ने कहा है कि वो राम मंदिर निर्माण के लिए वक्त देना चाहती हैं। उनका लक्ष्य अब मंदिर बनवाने का है। हालांकि, राजनीति छोड़ने की बात उन्होंने नहीं कही है। उमा के मुताबिक वो राजनीति तो करती रहेंगी लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ने की बात से उन्होंने इनकार कर दिया है। वर्तमान में उमा भारती, झांसी से सांसद हैं। उमा भारती ने उद्धव ठाकरे के अयोध्या में धर्मसभा का आयोजन करने की कोशिश की सराहना की है| उन्होंने कहा कि भाजपा का राम मंदिर मुद्दे पर पेटेंट नहीं है, भगवान राम सभी के हैं| उन्होंने राम मंदिर बनाने के काम में मदद देने के लिए बसपा, आज़म ख़ान और असदउद्दीन ओवैसी से भी मदद की अपील की|
उमा भारती ये निर्णय ऐसे वक्त में लिया है जब अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर कानूनी समाधान तलाशने पर माथापच्ची की जा रही है, सारे देश में इस विषय को लेकर एक विचित्र प्रकार की अंतरधारा बह रही है, २०१९ के लोकसभा चुनाव् नजदीक है । ९० के दशक में उमा भारती राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा रह चुकी है। ऐसे में उनके इस निर्णय के कई मायने निकाले जाना लाजिमी है। उमा भारती मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं | राम में उनकी आस्था वर्षों से है | राम और रोटी को लेकर वे पहले भी यात्रा निकाल चुकी हैं | इन विषयों को लेकर लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला भी नया नहीं है | २०१६ में भी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से इस बारे में बात की थी तब अमित शाह ने उन्हें इस्तीफा देने से मना किया था। अब उनका फैसला है कि “मैं राम मंदिर और गंगा के लिए काम करूंगी।“
कुछ संकल्पों के विकल्प नहीं होते, पर वे संकल्प गैर राजनीतिक होना चाहिए | देश में राम मन्दिर, गंगा जैसे कुछ विषय हैं जिनमे संकल्प हमेशा राजनीतिक हुए हैं | इस बार उमा भारती ही नहीं उन जैसे कई आस्थावान लोग जिसमें सब भांति और सब जाति के लोग है इन विषयों पर गम्भीर है | उमा भारती संन्यासिन हैं, उनका मन्दिर जाना आम बात है, लेकिन आम आदमी का मन्दिर के लिए उठ जाना बड़ी बात ही नहीं, सरकार के लिए चेतावनी है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।