भोपाल। चुनाव आयोग इस बार फूंक फूंककर कदम रख रहा है। उसकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। शिकायतों का दौर जारी है। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा और ईवीएम को लेकर दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। अब मतगणना में हंगामा होने की उम्मीद है अत: आयोग सतर्कता बरत रहा है। इसी बीच आयोग ने गाइडलाइन जारी कर दी है कि किस तरह के लोगों को मतगणना ऐजेंट बनाया जा सकता है और किस तरह के लोगों पर पाबंदी लगाई गई है।
भारत निर्वाचन आयोग ने केंद्र एवं राज्य शासन के मंत्रियों, संसद सदस्यों, विधायकों एवं विधान परिषद के सदस्यों के साथ स्थानीय निकायों, सहकारी संस्थाओं एवं शासकीय उपक्रमों के अध्यक्षों के भी उम्मीदवारों के गणना एजेंट बनने पर रोक लगाई है। आयोग ने शासकीय सेवकों पर भी प्रत्याशियों के गणना एजेंट पर रोक लगाई है।
आयोग के निर्देशानुसार किसी भी स्थानीय संस्था के अध्यक्ष, नगर निगम के महापौर, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के अध्यक्ष, जिला पंचायत एवं पंचायत समिति के अध्यक्ष, केंद्र एवं राज्य सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष तथा केंद्र एवं राज्य सरकार के उपक्रमों के अध्यक्ष विधानसभा का चुनाव लड़ रहे किसी भी प्रत्याशी के गणना एजेंट नियुक्त नहीं किए जा सकेंगे। चाहे उन्हें सुरक्षा कवच मिला हो या न मिला हो।