भोपाल। मध्यप्रदेश का जनादेश ईवीएम में बंद है और घोटाले की आशंका के बीच सागर, सतना व खरगोन की घटनाएं सामने आ गईं। कांग्रेस हमलावर है और ईवीएम की रक्षा की चिंता में जिला निर्वाचन अधिकारियों पर संदेह जता रही है। मामला चुनाव आयोग और कांग्रेस के बीच में है परंतु अब इस मामले में भाजपा ने भी कूदने की रणनीति बनाई है। भाजपा के लिए यह कितना जरूरी है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा रहा सकता है कि चुनाव बाद रविवार यानी अवकाश के दिन भाजपा ने सुबह सवेरे प्रेस बयान जारी कर दिया।
सुबह 11:44 बजे प्राप्त हुए रिलीज में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद श्री राकेश सिंह ने कांग्रेस द्वारा ईवीएम को लेकर किए जा रहे प्रोपेगंडा पर गंभीर आपत्ति व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस का यह इतिहास रहा है कि वह संवैधानिक संस्थाओं पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आरोप लगाकर उनकी गरिमा को भंग करती रहती है। संवैधानिक व्यवस्था के तहत चुनाव आचार संहिता के दौरान सारा कंट्रोल चुनाव आयोग के पास होता है। किसी राजनीतिक दल अथवा सरकार का चुनाव संचालन और अन्य व्यवस्थाओं में कोई दखल नहीं होता। इसके बावजूद कांग्रेस अनर्गल प्रलाप कर भ्रम की स्थिति पैदा कर रही हैं।
श्री राकेश सिंह ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेताओं को पता है कि वह बुरी तरह हार का सामना करने वाले हैं, इसलिए कांग्रेस के लोगों ने मतदान के दिन से ही ईवीएम को लेकर प्रलाप करना शुरु कर दिया है। यह कांग्रेस का शगल बन गया है की जब हार रहे हैं तो ईवीएम को दोष देना शुरू कर दो और जब जीत रहे हैं तो ईवीएम पर चुप्पी साधे रहो।
श्री सिंह ने प्रश्न किया है कि यदि ईवीएम कांग्रेस के विरुद्ध ही चलती है तो पंजाब में कांग्रेस की सरकार कैसे बनी ? यदि ईवीएम भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में ही काम करती है तो फिर भारतीय जनता पार्टी को किसी भी चुनाव क्षेत्र में पराजित नहीं होना चाहिए। सच्चाई यह है कि कांग्रेसी घपले घोटालों के अपने काले अध्याय से बाहर नहीं आना चाहते है।
आज वह जिस प्रकार से चुनाव प्रक्रिया को लांछित करने पर उतारू है, इससे स्पष्ट है कि चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होने के कारण कांग्रेस के पेट में मरोड़ हो रही है। यह इस बात का भी संकेत है पांच-छह दशकों तक लगातार सरकारों ने रहने वाली कांग्रेसी शायद चुनाव में गड़बड़ियां कराकर ही सत्ता प्राप्त करती रही होगी।
चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस ने चुनाव आयोग के विरुद्ध वातावरण बनाना शुरू कर दिया था। चुनाव आयोग पर फर्जी मतदाता सूची जैसे गंभीर आरोप लगाए गए, लेकिन आयोग ने जब पूरी सतर्कता और परिश्रम के साथ इस मतदाता सूची का परीक्षण निरीक्षण कराया तो फर्जी मतदाता नाम का कोई व्यक्ति प्राप्त नहीं हुआ। कांग्रेस ने इस मोर्चे पर भी बुरी तरह मुंह की खाई, लेकिन बेशर्मी की पराकाष्ठा देखिए कि कांग्रेस नए-नए विषय रोज लेकर आती है।
जहां तक ईवीएम के लेट पहुंचने का या समय पर पहुंचने का विषय है तो इसका भारतीय जनता पार्टी या सरकार से क्या लेना देना है। सारी व्यवस्थाएं चुनाव आयोग के अधीन होने के कारण चुनाव आयोग लापरवाही के विरुद्ध जो कार्यवाही करना चाहिए और करता ही है और कर भी रहा है।
मूल बात यह है कि कांग्रेस बुरी तरह पराजय की ओर बढ़ गई है, इसलिए चुनाव परिणाम के बाद अपनी कमियों को छुपाने के लिए ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने की भूमिका तैयार कर रही है। कांग्रेस हार के बाद यही बयान देने वाली है कि ईवीएम में गड़बड़ी के कारण कांग्रेस पराजित हुई है।