हिसार। FUTURE MAKER LIFE CARE PRIVATE LIMITED के सीएमडी राधेश्याम सुथार (RADHE SHYAM SUTHAR) अब PD ACT के मामले में भी फंस गए हैं। तेलंगाना पुलिस ने उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया है। 7वीं पास राधेश्याम के खिलाफ 60 लाख लोगों से ठगी का आरोप है। देश के कई थानों में उसके खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि कंपनी से मोटा माल कमाने वाले लीडर्स भी अब राधेश्याम का साथ छोड़कर भाग गए हैं।
तेलंगाना की साइबराबाद सिटी की पुलिस ने फ्यूचर मेकर कंपनी के सीएमडी राधेश्याम पर प्रिवेंटिव डिटेनशन एक्ट (पीडी एक्ट) के तहत कार्रवाई की है। इसकी पुष्टि करते हुए उधर के कमिश्नर ऑफ पुलिस वीसी सजनार ने बताया कि जब कोई अपराधी बार-बार अपराध करता है, तब उस पर शिकंजा कसने के लिए पीडी एक्ट लगाया जाता है। राधेश्याम पर भी इस एक्ट को इसलिए लगाया है।
सातवीं पास सीएमडी पर 60 लाख लाेगों से ठगी का आरोप
गौरतलब है कि सातवीं पास राधेश्याम उसकी कंपनी में निवेश किए जाने वाले पैसों को कई गुना किए जाने के नाम पर ठगी कर रहा था। आरोप है कि उसने करीब तीन सालों में 60 लाख लोगों को कंपनी से जोड़कर अरबों की राशि व संपत्ति जुटा ली। नॉन स्टॉप चिटफंड के नाम पर लोगों से ठगी की जा रही थी।
फ्यूचर मेकर लाइफ केयर प्राइवेट लिमिटेड के अलावा ऑफिशियल वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.फ्यूचरमेकर.बिज बनाई थी। इसके ब्रोशर बांटकर लोगों को पैसा निवेश करने के लिए आकर्षित किया था। साथ ही अन्य तरह के प्रोजेक्ट में भी निवेश करने की तैयारी की जा रही थी। इसमें न्यूज चैनल खोलने के अलावा एक हजार पेट्रोल पंप खोलने की पायलट प्लानिंग तक हो चुकी थी।
सस्ते प्रोडेक्ट खरीद, महंगे बेच कमाया मुनाफा
इतना ही नहीं कंपनी के पदाधिकारी पंजाब, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से सस्ते प्रोडक्ट्स खरीदकर निवेशकों को महंगे दामों पर बेचकर अपराध की नीयत से मुनाफा कमा रहा था। इसमें शुरुआती चरण में कंपनी से जुड़ने वाले लोगों को औरों को इस काम में लगा खूब पैसा बनाया तो वहीं आखिरी स्टेज में जिन लोगों ने धनराशि इन्वेस्ट की थी वो बर्बादी की कगार पर हैं।
तेलंगााना में दर्ज हैं चार केस
कमिश्नर ऑफ पुलिस वीसी सजनार ने बताया कि तेलंगाना में फ्यूचर मेकर कंपनी के आरोपी सीएमडी सहित अन्यों के विरुद्ध 4 केस दर्ज हैं। धोखाधड़ी के अलावा 4,5,6 आर/डब्ल्यू 3,2(सी) ऑफ प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बैनिंग एक्ट 1978 के तहत कार्रवाई हुई है। कंपनी के पदाधिकारियों की वजह से हजारों परिवार न सिर्फ मानसिक बल्कि आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।
एक्ट सही साबित हुआ तो जमानत के बाद भी रहना होगा जेल में
एक्सपर्ट के अनुसार पीडी एक्ट के तहत निचली अदालत से जमानत भी मिल जाए फिर भी एक साल तक जेल से बाहर नहीं आ सकता है। हालांकि इस एक्ट के तहत सुनवाई के लिए राज्य स्तरीय कानूनविदों की कमेटी होती है। अगर उसमें अपराधी के अपराधों की समीक्षा होती है। अगर एक्ट सही पाया जाता है तो जेल में ही रहना पड़ेगा। अगर एक्ट गलत लगा है तो जमानत की राह आसान हो जाएगी। इसके अलावा हाईकोर्ट से भी जमानत के लिए याचिका लगा सकते हैं।