नई दिल्ली। कार्यस्थल यानी आॅफिस या कार्यालय में कार्यरत महिला कर्मचारी के साथ गंदी बातें करना या उसका यौन उत्पीड़न वरिष्ठ अधिकारियों के लिए कितना घातक हो सकता है, यह मामला इसी का प्रमाण है। हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ के डीआईजी संदीप यादव को बर्खास्त किए जाने के फैसले को सही ठहराया है जबकि डीआईजी संदीप यादव को सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है।
क्या है मामला
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) डीआईजी संदीप यादव के खिलाफ अधीनस्थ महिला कर्मचारी को अश्लील संदेश भेजने की शिकायत हुई थी। यह मामला तत्समय काफी सुर्खियों में रहा। विभागीय जांच में अपराध प्रमाणित पाया गया और संदीप यादव को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। संदीप यादव ने इसे अन्यायपूर्ण फैसला बताया और हाईकोर्ट में विभागीय फैसले को निरस्त करने हेतु याचिका दाखिल की।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
अदालत ने कहा कि एक वरिष्ठ लोकसेवक को ‘सदाचार' के उच्च मानकों को बरकरार रखना चाहिए। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने सराहनीय सेवा के लिये 2010 में राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित संदीप यादव की याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने नवंबर में पारित अपने एक आदेश में कहा, ‘‘अदालत सिर्फ यह कह सकती है कि कोई लोकसेवक जितनी ऊंचे पद पर होता है उसे सदाचार के उतने ही व्यापक मानकों का पालन करना होता है।'' अदालत ने कहा कि उसे नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को सुनाई गई सजा उसके आचरण के हिसाब से गलत है।