होशंगाबाद। नर्मदा किनारे तेजी से विकसित हो रहे होशंगाबाद के लिए यह चौंका देने वाली खबर है। सीएम कमलनाथ ने यहां आशीष सक्सेना आईएएस को कलेक्टर बनाकर भेजा है। लोगों को उम्मीद थी कि नई सरकार में नौकरशाही भी जिम्मेदार हो जाएगी परंतु नए कलेक्टर का पहला प्रदर्शन काफी चौंका देने वाला था।
पीड़ित को कथावचाक की तरह प्रवचन सुनाकर आगे बढ़ गए कलेक्टर आशीष सक्सेना
होशंगाबाद के नए कलेक्टर आशीष सक्सेना ने मंगलवार को जिला अस्पताल और मंडी का दौरा किया। उम्मीद थी यहां के बदतर हालात देखकर कलेक्टर नाराज होंगे को सिस्टम को सुधारने के लिए कड़े निर्देश देंगे परंतु हुआ कुछ उल्टा ही। जिला अस्पताल का निरीक्षण के दौरान कलेक्टर को देख 11 दिन से परेशान डूडूगांव के आनंद बकोरिया डॉक्टरों की लापरवाही सुनाने नवजात बच्चे को लेकर खड़ा हो गए। आनंद ने बताया 11 दिन पहले पत्नी दुर्गेश नंदनी का सीजर ऑपरेशन हुआ। डॉक्टरों ने ऐसे टांके लगाए कि पस पड़ गया है। बार-बार बताने के बाद भी सही इलाज नहीं मिल रहा है। पीड़ित की आपबीती सुन कलेक्टर आशीष सक्सेना डॉक्टरों फटकार लगाने के बजाए साधू सन्यासियों की तरह प्रवचन देना शुरू कर दिया। सक्सेना बोले- करने वाला तो भगवान है। हम सब तो केवल माध्यम हैं। डॉक्टर साहब को बता दिया है इलाज हो जाएगा। इतना कहकर कलेक्टर आगे बढ़ गए।
नवजात शिशुओं को गोद में लेकर बैठे लोगों को बधाई दी और पूछा कोई पैसे तो नहीं मांगता फिर लोगों का जवाब लिए बिना ही आगे बढ़ गए। अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. सुधीर डेहरिया, RMO डॉ. दिनेश दहलवार ने कलेक्टर को अस्पताल के व्यवस्थित हिस्से दिखाए ओर कलेक्टर ने व्यवस्था की काफी तारीफ की। फिर कलेक्टर ने मीडिया से पूछा कोई कमियां हों तो बताएं। पत्रकारों ने कलेक्टर को बर्न वार्ड में चलने को कहा तो कलेक्टर ने जवाब दिया कि वहां जाकर आप ही देख लें।
भोपाल से आने वाले आदेशों का पालन ही प्राथमिकता
कलेक्टर आशीष सक्सेना खुश हैं कि रेगिस्तान से छुटकारा पाकर अब उन्हें मां नर्मदा की सेवा का मौका मिला है। कलेक्टर ने बताया जिले में सरकार और शासन के आदेश पर जिले में कामों को कराना प्राथमिकता होगी। कुल मिलाकर उन्होंने यह समझा दिया कि उनकी प्राथमिकता सिर्फ भोपाल से आने वाले आदेशों का पालन कराना ही है। स्थानीय शिकायतों और समस्याओं की तरफ वो ज्यादा ध्यान नहीं दे पाएंगे। शायद आशीष सक्सेना जी के मन में वैराग्य आ गया है। आईएएस हैं इसलिए कलेक्टर की कुर्सी पर बैठकर कुछ काम कर लेते हैं।