भोपाल। सेंट्रल जेल के सामने कट पॉइंट पर बने डिवाइडर से टकराकर आईटी पार्क के इंजीनियर वैभव कासव की मौत हो गई। टक्कर इतनी तेज थी कि बाइक से उछलकर इंजीनियर खंभे पर लगे डबल पोल (डीपी) से जा टकराए थे। उस वक्त हादसे से अंजान उनकी मां रोज की तरह इंदौर से इकलौते बेटे का हाल पूछने के लिए फोन लगा रही थी। 108 एंबुलेंस के स्टाफ ने फोन कर हादसे की सूचना दी तभी से मां सदमे में है।
मूलत: गोकुल कॉलोनी, अन्नपूर्णा रोड इंदौर निवासी 25 वर्षीय वैभव कासव इन दिनों भोपाल सेंट्रल जेल के पास बन रहे आईटी पार्क में इंजीनियर थे। अपने रूम पार्टनर अविनाश के साथ वैभव यहां पतंजलि कॉलोनी, अब्बास नगर में रह रहे थे। पिता महेश बैंक से रिटायर हुए हैं। एएसआई लईक खान के मुताबिक रविवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे वैभव अपना कमरा बाहर से लॉक कर कहीं चले गए थे। इसका पता अविनाश को भी नहीं था। करोंद की ओर से लौटते वक्त वैभव की बाइक भोपाल सेंट्रल जेल के सामने बने डिवाइडर से जा टकराई। टक्कर इतनी तेज थी कि वे उछलकर खंभे पर लगी डीपी से टकरा गए। सिर पर गंभीर चोट होने के कारण उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
इकलौते बेटे को सुबह से फोन लगा रही थी मां
एएसआई ने बताया कि हादसे की सूचना पर 108 एंबुलेंस का स्टाफ मौके पर पहुंचा। वैभव की जेब में मिले मोबाइल फोन से घर के नंबर पर कॉल किया। ये कॉल वैभव की मां ने रिसीव किया। स्टाफ ने हादसे की सूचना देते हुए उसे अस्पताल ले जाने की बात कही। इसके बाद घबराई मां ने अविनाश को कॉल किया। पता चला कि दरवाजा बाहर से बंद है। अविनाश ने अपने अन्य दोस्तों को कॉल कर अस्पताल भेजा, लेकिन तब तक वैभव की मौत हो चुकी थी। वैभव अपनी दो बहनों के इकलौते भाई थे।
सुबह से बेचैन था मां का दिल
पिता ने पुलिस को बताया है कि वैभव इकलौता बेटा था, इसलिए सभी चाहते थे कि वह इंदौर में रहकर ही काम करे। वैसे तो मां रोजाना बेटे को फोन कर हाल-चाल लेती थीं। रविवार सुबह से ही उनका दिल बेचैन था। बेटे को नींद में न परेशान करने के मकसद से उन्होंने 8 बजे फोन लगाना शुरू किया, जो रिसीव नहीं हो रहा था।