राहुल दुबे/इंदौर। तिलक नगर में रहने वाली 85 साल की मनोरमा चतुर्वेदी को सुकून की नींद हासिल करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। घर के पास जैन धर्मशाला में अलसुबह लाउड स्पीकर की तेज आवाज, रात को भजनों के शोर के कारण उनकी नींद ही नहीं लग पाती थी।
धर्मशाला प्रबंधन को धीमी आवाज करने की बात कही तो जवाब मिला- कान में रुई लगा लो, आवाज आना बंद हो जाएगी। नींद भी आ जाएगी। इसके बाद उन्होंने एसडीएम के यहां फरियाद लगाई। एसडीएम और पुलिस भी ‘आराम से सोने का संवैधानिक अधिकार’ नहीं दिला पाई तो मनोरमा ने हाई कोर्ट में अर्जी लगा दी। उनकी ओर से अधिवक्ता अभिनव धनोतकर ने कोर्ट को बताया कि बसाहट के बीच धर्मस्थल, धर्मशाला में स्पीकर का उपयोग किया जाना है या नहीं इसके नियम बने हुए हैं।
पुलिस, प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्पीकर को हटवाने या आवाज कम कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। सालभर से इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस पर कोर्ट ने एसडीएम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, धर्मशाला प्रबंधन को नोटिस देकर पूछा है कि बसाहट के बीच दिन-रात लाउड स्पीकर का उपयोग कैसे हो रहा है।