म.प्र में कांग्रेस की सरकार ने आते ही अपने घोषणा पत्र पर काम करना प्रारंभ कर दिया है जो कि प्रदेश के जनमानस के लिए बहुत ही अच्छा है जहॉं शपथ लेने के उपरांत ही मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने अन्नदाता कृषकों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उनके कर्ज माफ कर दिये व कन्या विवाह की राशि में बढ़ोत्तरी कर दी ये पहलू दिखाते है कि वे पूरी तरह से जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध व प्रयासरत है उनके इन कामों से प्रदेश के बर्षों से शोषित अतिथि शिक्षकों व अतिथिविद्ववानों को भी आशा है कि वे अपनी घोषणा अनुसार जल्द ही इन उपेक्षित शिक्षित शोषित वर्ग का भी कल्याण करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री महोदय शिवराज सिंह जी ने प्रदेश के सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 बर्ष करके सबके साथ समानता का व्यवहार किया व कल्याण किया उन्होने गुरूजी शिक्षाकर्मियों व पंचायत सचिवों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय दुगुना किया व सिंहस्थ में सेवा देने वाले होमगार्ड जवानों को भी राहत दी परंतु अतिथि शिक्षकों को 11 मई 2013 रायसेन अंत्योदय मेले में दिए गए संविदा नियुक्ति देने संबंधी आश्वासन व संविदा व्यवस्था को खत्म करने संबंधी अपने आश्वासन को पूरा न करके बहुत बड़े वर्ग की उपेक्षा कि व संविदा कर्मियों को न 90% बढ़ा हुआ वेतन दिया न ही उनकी सेवा समाप्त न करने के वादे को ही पूरा किया आज राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में पदस्थ जिला सलाहकारों को दो बर्ष की संविदा सेवा उपरांत सेवा से पृथक कर दिया गया है इसी प्रकार अतिथि शिक्षकों को 100 रूपये प्रति कार्यदिवस व प्रतिदिन तीन कालखण्ड के भुगतान पर बर्षों शोषित किया।
उसी में उच्च कक्षाओं में वे निदानात्मक कक्षायें भी पढ़ाते थे और तो और आनलाइन अतिथि शिक्षक चयन प्रक्रिया में एम.ए अंग्रेजी पास अतिथि शिक्षक जो कि बर्षों से प्रदेश के माध्यमिक व हाईस्कूलों में सेवा दे रहे थे उन्हें बाहर कर दिया गया व बी.ए अंग्रेजी योग्यता मॉंगी गई व बर्षों की सेवा का फल उन्हें अयोग्य सिद्ध करके दिया गया। इसी प्रकार आनलाइन भर्ती प्रक्रिया में अनुभव का कोई अंक न देकर प्रदेश के विधालयों में बर्षों से कार्यरत अतिथिशिक्षकों को चयन प्रक्रिया द्वारा बाहर कर दिया गया।
प्रदेश के कई अतिथिशिक्षकों ने तो आर्थिक तंगी में आत्महत्या तक कर ली पूर्व सरकार ने मजदूरों को तो संबल योजना का लाभ दिया पर इन शिक्षित बेरोजगारों का बर्षों झूठी घोषणा के सहारे आश देकर शोषण किया गया और जब वे अपना अधिकार मॉंगने पहॅुचे तो उन्हे मुठ्ठी भर लोग जनकल्याण में बाधा डाल रहे है ऐसा कहकर पूर्व सीएम साहब द्वारा अपमानित तक किया गया जबकि ये बेचारे तो ग्रामीण शालाओं में अल्पमानदेय में गरीब छात्रों को शिक्षित करने का कार्य पूरी निष्ठा से कर रहे है जब ये अतिथिशिक्षक न्याय की आश में न्यायालय गए तो वहॉं भी सरकार ने जबाब दिया कि इनकी नियुक्ति सिर्फ तीन कालखंड के लिए थी।
यदि ऐसा है तो फिर निदानात्मक कक्षाये कौन पढ़ाता था और बाकी समय क्या कक्षायें शिक्षकविहीन रहती थी और क्यों शासन विधालयों में संस्था प्रधान को ऐसे आदेश नहीं भेजता था कि अतिथिशिक्षक से बस तीन कालखंड का ही कार्य लिया जाए अन्य कार्य न लिया जाए जबकि अतिथिशिक्षक राष्ट्रीय व अन्य गतिविधियों में अवैतनिक सेवा करते रहे। जहॉं उत्तरप्रदेश सरकार अनुभव के अंक देकर शिक्षामित्रों के नियमितिकरण का प्रयास कर रही है दिल्ली सरकार 35000 हजार प्रतिमाह वेतन दे रही है वहीं म.प्र में पूरे महीने सेवा देने के बाद भी 3500 रूपये तक नहीं मिलते चुनाव समय में सरकार ने अपनी दमनकारी नीति पर पर्दा डालने के लिए मानदेय दुगुना किया जो कि आज के समय में ऊंट के मुंह में जीरा है जबकि इसी कार्य के नियमित शिक्षक 60 से 80 हजार लेते है।
अतिथि शिक्षकों के आंदोलनों में कांग्रेस के सभी नेताओं ने सहानुभूति व सहभागिता दिखाई माननीय कुनाल भैया,राहुल भैया साथ ही कमलनाथ जी व ज्योतिरादित्य जी ने भी अतिथिशिक्षकों को आश्वासन दिया था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर सरस्वती का सम्मान होगा। आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद अतिथि शिक्षकों व संविदाकर्मियों में खुशी की लहर है व पूरा विश्वास है कि जल्द ही इस उपेक्षित वर्ग का कल्याण माननीय कमलनाथ जी द्वारा होगा क्योंकि अतिथि शिक्षकों के नियमितिकरण करने का उदगार माननीय राजासाहब दिग्विजय जी द्वारा किया गया है इससे आशा और भी ज्यादा बलबती है क्योंकि वे प्रदेश के बहुत सम्मानित नेता है व जो कहते है वो करते है।
सादर धन्यवाद
आशीष बिलथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र