भोपाल। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार रिटायर हो चुके डॉक्टरों की सेवा लेगी। इसके लिए डॉक्टरों को 45 हजार रुपए महीने की पगार पर संविदा नियुक्ति दी जाएगी। इन पदों के लिए आवेदक की उम्र 70 वर्ष भी चलेगी, सिर्फ उसका फिट होना जरूरी है। इसके लिए ओपीडी में निजी, गैर सरकारी और रिटायर डॉक्टरों को बुलवाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही विज्ञापन निकाला जाएगा।
प्रदेश में 3195 विशेषज्ञों के पद मंजूर हैं। इनमें से 1210 पर डॉक्टर्स काम कर रहे हैं। 657 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिना डॉक्टरों के चल रहे हैं। मेडिकल ऑफिसर्स के भी 3859 पद मंजूर हैं। इनमें से 2506 कार्यरत हैं। इंदौर में अस्पताल की संख्या के मुताबिक एनेस्थेटिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। मेडिसिन विशेषज्ञ बमुश्किल तीन-चार ही हैं।
INDORE जिले के हालात: 50 प्रतिशत पद खाली, DOCTOR जॉइन ही नहीं करते
इंदौर जिले की बात करें तो यहां सरकार द्वारा मंजूर कुल पदों में से 50 प्रतिशत पर डॉक्टर्स काम कर रहे हैं। शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में मिलाकर कुल 300 पद हैं। शहर में सरकारी अस्पतालों की संख्या 32 है। इनमें छोटे-बड़े अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इनमें से आधे से ज्यादा में डॉक्टर पदस्थ नहीं हैं। इमारतें बनाई जा रही हैं लेकिन डॉक्टरों के पद नहीं भर पा रहे हैं। राज्य सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती की जाती है, लेकिन डॉक्टर्स जॉइन नहीं करते हैं।
केंद्रों में RECRUITMENT: हर बुधवार को होंगे इंटरव्यू
1. इसके लिए हर बुधवार इंटरव्यू लिए जाएंगे। शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के लिए भर्तियां होंगी।
2. डॉक्टरों का मप्र मेडिकल कांउसिल में डिग्री का स्थायी पंजीयन होना जरूरी है।
3. मानव संसाधन विकास के प्रारूप के अनुसार डॉक्टरों को 67 साल की उम्र तक काम करने की अनुमति है, लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन संचालक ने इसे बढ़ाते हुए आयु सीमा 70 वर्ष कर दी है।
4. नियुक्तियां मार्च 2019 तक होंगी। इसके बाद फिटनेस सर्टिफिकेट देना होगा।
5. डिस्पेंसरी में दो घंटे सेवा देने के लिए दिए जाएंगे 2250 रुपए
शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत खोली गई डिस्पेंसरियां भी खाली पड़ी हैं। इसके लिए CMHO द्वारा 2250 रुपए का ऑफर दिया गया है। डॉक्टर को दो घंटे के लिए अस्पताल आना होगा। इसके एवज में 2250 रुपए का भुगतान किया जाएगा। यानी एक ही समय में दो योजनाएं शुरू की जा रही हैं। उद्देश्य यही है कि जैसे-तैसे ओपीडी सेवाएं चलती रहें।
पहले भी की गई थी कोशिश
मप्र मेडिकल ऑफिसर्स के महासचिव डॉ. माधव हसानी का कहना है इसके पहले भी सरकार इस तरह का विज्ञापन निकाल चुकी है, लेकिन संविदा आधार पर भी किसी डॉक्टर ने काम करने की इच्छा नहीं दिखाई।