भोपाल। उद्योगों में सिर्फ मध्यप्रदेश के युवाओं को रोजगार की अनिवार्यता मामले में कमलनाथ को यूपी-बिहार का विरोधी बताया जा रहा है। भाजपा महाराष्ट्र में 'मराठी' की राजनीति करने वाली शिवसेना का समर्थन करती है परंतु कमलनाथ के बयान को राष्ट्रविरोधी बताया जा रहा है। लगातार विरोध के बीच सीएम कमलनाथ ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने फिर बयान जारी कर कहा है कि यह सब जगह है, दूसरे राज्यों में भी है, मैंने कौन सी नई बात की है? स्थानीय लोगों को वरीयता मिलनी चाहिए।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही कमलनाथ ने कई बड़े ऐलान किए थे। उन्होंने 6 घंटे में किसानों का कर्ज माफ करने की फाइल पर साइन कर दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में सिर्फ उन उद्योग धंधों और कंपनियों को इन्सेंटिव मिलेगा जो 70 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देंगी। उन्होंने कहा था कि यूपी-बिहार के लोग नौकरियों पर कब्जा कर लेते हैं जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलता।
कमलनाथ के इस बयान की कई नेताओं ने आलोचना की थी। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कमलनाथ जो बात कह रहे हैं उसका प्रवधान पहले से है। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि अगर यही बात उनपर भी लागू हुई तो कानपुर में जन्मे कमलनाथ को परेशान हो जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कमलनाथ को यूपी-बिहार में घुसने नहीं देंगे। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल ने भी कमलनाथ के इस बयान पर विरोध दर्ज कराया था। इस बयान के विरोध में उनके खिलाफ बिहार के मुजफ्फरनगर कोर्ट में केस भी दर्ज करा दिया गया।