मकर संक्रांति 14 जनवरी की शाम को शुरू होगी तथा स्नान व दान पुण्य 15 जनवरी को होगा। सूर्य 14 की शाम 7.51 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उस समय सूर्य प्रत्यक्ष नहीं होंगे, इसलिए पर्व काल 15 को मनेगा। 2017 में 14 जनवरी को पर्व मना था लेकिन 2016 में भी 15 को पर्व काल रहा था। ज्योतिषियों का कहना है उदयकाल यानी सूर्योदय के समय में तिथि होने की मान्यता के अनुसार पर्व काल 15 को मनाया जाएगा।
पौष की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर सोमवार को रेवती नक्षत्र की साक्षी में मकर संक्रांति आएगी। पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार शास्त्रीय मान्यता के अनुसार सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते ही उत्तरायण हो जाएंगे। 14 की शाम 7.51 बजे सूर्य का मकर में प्रवेश होगा, इसलिए पर्व काल 15 को रहेगा। 15 को सुबह से ही अमृत सिद्धि योग है।
अमृत सिद्धि योग में किया गया दान-पुण्य अमृत के समान होता है। संक्रांति का वाहन सिंह है और उप वाहन गज यानी हाथी है। इसलिए वर्ष भर काम की अधिकता, गतिशीलता, राजनीतिक परिवर्तन, आर्थिक स्थिति में परेशानी जैसे कई प्रभाव होंगे। पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार 14 की शाम को सूर्य का मकर में प्रवेश है, इसलिए पर्व काल 15 को रहेगा।
पं. श्याम नारायण व्यास के अनुसार मकर संक्रांति का नाम ध्वंक्षी है। यह पीले वस्त्र पहने, शरीर पर कुंकू का लेपन किए, चांदी के बर्तन में दूध का सेवन करते, गहने पहने आ रही हैं, इसलिए मिश्रित फलदायी होगी।
संक्रांति पर्व काल में यह करें दान
पं. डिब्बावाला के अनुसार संक्रांति पर्व काल में चांदी या तांबे के कलश में सफेद या काली तिल्ली भरकर ब्राह्मण को दान करें। सफेद धान, चावल, आटा, चांदी, दूध, मावा, रवा, खिचड़ी, गुड़, नारियल, कपड़ा दान करना चाहिए। स्नान के समय जल में तिल मिलाएं। स्नान और पूजन के बाद दान करें।
इनके दाम बढ़ेंगे
कपास, सफेद कपड़े, सोना-चांदी, चावल, गेहूं, ज्वार, चना, मैथी, अलसी, घी, तिलहन, इत्र के दाम बढ़ेंगे। मध्यम वर्ग के लिए तनाव और चिंता के रूप में प्रभाव होगा। वणिक वर्ग के लिए यह उन्नति कारक रहेगी।