इंदौर। वाणिज्यिक कर विभाग ( Commercial tax department ) और सेंट्रल एक्साइज जीएसटी विभाग ( Central Excise GST Department ) की संयुक्त कार्रवाई में स्टील स्क्रैप लोहा कारोबार से जुड़ा 100 करोड़ से ज्यादा का इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाला उजागर हुआ है। इस घोटाले के तार इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और छतरपुर से लेकर महाराष्ट्र के ठाणे, गुजरात के भावनगर से जुड़े हैं। गुरुवार को इन तीनों राज्यों में 25 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे गए। सभी जगहों पर फर्मों के दिए गए पते, व्यक्ति फर्जी पाए गए हैं। कुल 47 फर्जी फर्म जांच के घेरे में हैं, जिन्होंने करीब एक हजार करोड़ से अधिक का कारोबार कागजों पर दिखाया है। 404 डीलर प्रारंभिक तौर पर जांच के दायरे में आए हैं।
अकेले इंदौर में ही 300 करोड़ से अधिक के कारोबार की जानकारी सामने आई है। इस कागजी कारोबार पर सौ करोड़ से ज्यादा का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की तैयारी थी, जो केंद्र और राज्य स्तर पर टैक्स की चोरी और धोखाधड़ी होती। दोनों विभाग की सतर्कता से इसे रोक दिया गया है और अब इन फर्मों को बनाने वाले मुख्य आरोपी और फर्म की तलाश की जा रही है। सात लोगों से विभागीय अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इसकी आंच कई कंपनियों तक भी जाएगी और घोटाले राशि का आंकड़ा भी बढ़ सकता है।
कागजों पर खरीदी-बिक्री मगर रिटर्न नहीं भर रही थीं कंपनियां / Companies were not buying returns on paper but giving returns:
वाणिज्यिक कर विभाग के सिस्टम एनालिस्ट द्वारा लगातार फर्मों के कारोबार, रिटर्न को देखा जाता है। इसमें सामने आया कि कुछ कंपनियां माल की खरीदी-बिक्री दिखा रही हैं, लेकिन रिटर्न दाखिल नहीं कर रही और इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम कर रही हैं। सभी कंपनियों के सभी रिकाॅर्ड की जांच की गई कि इनसे कौन-कौन खरीदी-बिक्री दिखा रहा है। इसके बाद 47 कंपनियां सामने आईं और 400 से ज्यादा डीलर निशाने पर आए।
सूत्रों के मुताबिक कुछ लोगों से उनके पैन कार्ड व अन्य दस्तावेजों की कॉपी के आधार जीएसटी नंबर ले लिया और फर्जी कंपनियां रजिस्टर्ड करा ली गईं। इनके पते, व्यक्ति के नाम आदि सभी फर्जी दस्तावेज से अपलोड कराए गए। इसके बाद इन कंपनियों ने कागजी कारोबार दिखाया, इसमें अंतिम कड़ी के रूप में कारोबार करने वाले को टैक्स नहीं चुकाना पड़ता और वह इन कंपनियों के माध्यम से बताता है कि इनका टैक्स पूर्व में चुकाया जा चुका है, इसलिए टैक्स का दायित्व नहीं आता। इस तरह से फर्जी कंपनियों के आधार पर सरकार से भरे गए टैक्स को क्लेम भी कर लिया जाता है। सूत्रों के अनुसार ये पूरा घोटाला स्टील स्क्रैप और लोहे के कारोबार से जुड़ा हुआ है।
जानकारी सामने आने के बाद गोपनीय रूप से स्टेट टैक्स कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने सेंट्रल जीएसटी कमिश्नर नीरव मलिक के साथ राष्ट्रीय स्तर पर जांच की योजना बनाई और इसके लिए एडिशनल कमिश्नर बसंत कुर्रे, जॉइंट कमिश्नर मनोज चौबे, डिप्टी कमिश्नर दीप खरे, सेंट्रल जीएसटी एडिशनल कमिश्नर राजीव अग्रवाल और डिप्टी कमिश्नर वीरेंद्र जैन के साथ संयुक्त टीम बनाते हुए एक साथ सभी ठिकानों पर दबिश कराई। मामले से जुड़े सात लोगों से पूछताछ की जा रही है।