भोपाल। मध्यप्रदेश की शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में गुणवत्ता शिक्षा की दिशा में विद्यार्थियों की दक्षताओं का सटीक आकलन एवं शैक्षिक सुधारात्मक प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में आगामी 13 दिसम्बर से प्रतिभा पर्व का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस आयोजन में पहले दो दिवसों में विद्यार्थियों का शैक्षिक मूल्यांकन आयोजित किया जायेगा, वहीं तीसरे और अंतिम दिवस 15 दिसम्बर को विद्यालय के वार्षिकोत्सव के रुप में पालकों एवं अभिभावकों की उपस्थिति में विशेष बालसभा आयोजित की जायेगी। इसमें बच्चों की सांस्कृतिक खेल-कूद एवं अन्य गतिविधियों का आयोजन वार्षिक उत्सव के रूप में होगा।
उल्लेखनीय है कि 'प्रतिभा पर्व' प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिये स्कूल शिक्षा विभाग का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। प्रतिभा पर्व प्रदेश में एक साथ 1,14,609 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में संचालित होगा। इसमें कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत 70 लाख 20 हजार 921 बच्चे शामिल होंगे। परिणामों के विश्लेषण के आधार पर अकादमिक गेप्स की पहचान की जाती है और उनमें सुधार के लिए प्रयास किए जाते हैं।
प्रतिभा पर्व में शालेय व्यवस्था का आकलन भी किया जाएगा। यह आकलन शाला स्तर पर शिक्षकों द्वारा किया जाएगा। शाला द्वारा किए गए इस आकलन का जिला कलेक्टर द्वारा नियुक्त सत्यापनकर्ता अधिकारियों द्वारा बच्चों तथा शाला प्रबंध समिति के सदस्यों द्वारा चर्चा कर एवं शाला में उपलब्ध विभिन्न अभिलेखों का अवलोकन कर सत्यापन किया जाएगा। इसके आधार पर शाला के शैक्षिक उन्नयन योजना पर निरीक्षण पंजी में टीप अंकित की जाएगी।
प्रतिभा पर्व आयोजन के पर्यवेक्षण के लिये राज्य स्तर से ज़िला प्रभारी अधिकारियों के द्वारा ज़िलों का भ्रमण कर शालाओं का औचक निरीक्षण किया जायेगा। प्रतिभा पर्व में इस वर्ष राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे के अनुरूप चयनित सेम्पल शालाओं में कक्षा-3, 5, 8 में हिन्दी, गणित, पर्यावरण अध्ययन, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों में बच्चेवार उपलब्धि जानने तथा डाटा विश्लेषण करने की दृष्टि से ओएमआर शीट बनाई जायेगी। लर्निंग रिपोर्ट कार्ड के आधार पर लर्निंग गेप्स की पहचान की जाएगी और प्रत्येक स्तर पर शिक्षा गुणवत्ता सुधार के लिये योजना तैयार कर सुधारात्मक प्रयास किए जाएंगे।
संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र श्रीमती आईरीन सिथिंया जे.पी. ने प्रतिभा पर्व आयोजन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा है कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने प्रदेश के सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे निर्भीक होकर अपनी शाला और विद्यार्थियों का मूल्याकंन करें।