भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं। हार के तत्काल बाद उन्होंने बिना संगठन से अनुमति लिए 'आभार यात्रा' का ऐलान कर दिया। जैसे ही शिवराज सिंह की नई भूमिका को लेकर खबरें आना शुरू हुईं, शिवराज सिंह ने मप्र की राजनीति करने का ऐलान कर दिया और अब ना केवल कमलनाथ के शपथग्रहण में शामिल हुए बल्कि जश्न भी मनाया।
कमलनाथ ने सोमवार को मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दोपहर 2:30 बजे उन्हें शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के अलावा 10 अन्य दलों के नेता मौजूद रहे। वहीं, 4 पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बाबूलाल गौर, दिग्विजय सिंह और कैलाश जोशी भी मंच पर मौजूद थे। भाजपा नेता कैलाश जोशी एवं बाबूलाल गौर विपक्षी मर्यादाओं में बंधे नजर आए परंतु शिवराज सिंह ने दोस्ती का जश्न मनाया। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हाथ उठाकर क्या जताया, यह तो वही जानें परंतु भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता इस फोटो का हजम नहीं कर पा रहे।
बाबूलाल गौर से नमस्ते भी नहीं किया
शपथ ग्रहण से पहले शिवराज सिंह ने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ थामा। इससे पहले शिवराज सिंह और दिग्विजय सिंह के बीच मधुर बातचीत हुई फिर दोनों ने कैलाश जोशी के पैर छुए। शिवराज ने राकांपा प्रमुख शरद पवार और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला से भी हाथ मिलाया लेकिन मंच पर मौजदू वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल गौर से नमस्ते तक नहीं किया।
बेलगाम घोषणाओं से संगठन चिंतित
सीएम शिवराज सिंह चौहान चुनाव के बाद लगातार घोषणाएं कर रहे हैं। जबकि संगठन ने उनकी भूमिका तय नहीं की है। विदिशा लोकसभा सीट खाली हो रही है। लोकसभा चुनाव 2019 सामने है, शिवराज सिंह सांसद रह चुके हैं परंतु अब उन्होंने लोकसभा लड़ने से इंकार कर दिया। कमलनाथ से पुरानी मित्रता और टिकट बंटवाने में कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाले नाम तय करने के बाद अब पार्टी उन्हे शायद ही नेताप्रतिपक्ष बनाए फिर भी वो पार्टी के सर्वे सर्वा की तरह बयान जारी कर रहे हैं। संगठन चिंतित है कि कहीं भाजपा में भी दिग्विजय सिंह रिटर्न ना हो जाए। गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि क्या शिवराज सिंह को मध्यप्रदेश में ही रहने देना चाहिए या फिर चुनौतियों वाले राज्यों में शिवराज सिंह का उपयोग किया जाना चाहिए।