भोपाल। मध्यप्रदेश की महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग के आदेशों से पीड़ित अध्यापकों को अब सीएम कमलनाथ से न्याय की उम्मीद है। ये सभी वो अध्यापक हैं जो आदिम जाति कल्याण विभाग से शिक्षा विभाग और शिक्षा विभाग से आदिम जाति में शिफ्ट होना चाहते हैं। ये ना केवल हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ चुके हैं बल्कि जीत भी चुके हैं। लोक शिक्षण संस्थान को इस संदर्भ में कोई आपत्ति नहीं है, परंतु आईएएस दीपाली रस्तोगी हर बार पूरी प्रक्रिया को रोक देतीं हैं।
बता दें कि अध्यापक संवर्ग की अंतरनिकाय संविलियन एवं पारस्परिक संविलियन (ट्रांसफर) की नीति दिनांक 10/07/2017 को विभाग द्वार जारी की गई थी। जिसके तहत अध्यापकों द्वारा ऑनलाइन आवेदन एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों एवं वरिष्ठ अध्यापकों के पदांकन आदेश पोर्टल पर जारी किए गए परंतु दीपाली रस्तोगी, आयुक्त महोदय, जनजातिय कार्य विभाग, मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा दिनांक 12/04/2018 को एक आदेश जारी कर जनजातिय कार्य विभाग में कार्यरत सभी अध्यापकों के कार्यमुक्त होने पर रोक लगा दी गई। इसी प्रक्रम में जयश्री कियावत, आयुक्त महोदय, लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा दिनांक 16/04/2018 को एक आदेश जारी कर समस्त अध्यापकों की कार्य मुक्ति पर रोक लगा दी गई।
मई-जून 2018 मैं अध्यापकों ने भोपाल मैं कई बार ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन किया परंतु तत्कालीन भाजपा सरकार और उनके मंत्रियों ने हमारी एक भी बात नहीं सुनी। ट्रायबल कमिश्नर और ट्रायबल मिनिस्टर ने हर बार अध्यापकों को हताश-निराश-खाली हाथ घर लौटाया।
विवश होकर अनेक अध्यापकों ने माननीय उच्च न्यायालय मप्र मैं कार्यं मुक्ति से रोक हटाने के लिये याचिकाएं प्रस्तुत की। परिणाम स्वरुप सभी याचिकाओं का निर्णय अध्यापकों के पक्ष मैं आया। उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि 30 दिनों के भीतर प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला के अध्यापकों की अन्तर निकाय एवं पारस्परिक सम्विलियन (ट्रांसफर) की प्रक्रिया पूर्ण कर उन्हे पदान्कित संस्था हेतु कार्य मुक्त करें और हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी के अध्यापकों के लिये भी कार्य मुक्त करने का निर्णय दिया गया।
उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन मैं जय श्री कियावत, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल ने शिक्षा विभाग से आदिवासी विकास विभाग की शालाऔं मैं कार्य मुक्त करने हेतु आदेश दिनांक 13/12/2018 को जारी कर दिया गया।
परंतु दीपाली रस्तोगी आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ने मनमाने तरीके से इसके विपरित 14/12/2018 को एक आदेश जारी किया जिसमे कहा गया कि अन्तर निकाय सम्विलियन / पारस्परिक सम्विलियन (ट्रांसफर) के अध्यापकों को आदिवासी विकास से कार्य मुक्त (रिलिव) नही किया जावे साथ ही शिक्षा विभाग से आने वाले अध्यापकों को आदिवासी विभाग मैं पदभार ग्रहण (ज्वाइनिंग) नहीं कराया जाएँ।
Lokesh ने भोपाल समाचार डॉट कॉम के माध्यम से सीएम कमलनाथ तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है। लोकेश का कहना है कि ट्रांसफर चाहने वाले अध्यापक आशा भरी निगाहों से आपसे अनुरोध करते हैं क़ि जल्द से जल्द ट्रायबल डिपार्टमेंट (जनजातीय कार्य विभाग) से अध्यापकों के अन्तर निकाय एवं पारस्परिक सम्विलियन (ट्रांसफर) के लिये कार्य मुक्ति की रोक को हटाया जाए एवं प्राथमिक-माध्यमिक शाला के अध्यापकों की अन्तर्निकाय/पारस्परिक सम्विलियन (ट्रांसफर) की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूर्ण की जाए एवं वे अध्यापक जो अपने घर से सेंकडों किमी दूर सेवा दे रहे हैं उन अध्यापकों को इस प्रक्रिया के तहत आवंटित पदान्कित शाला हेतु कार्य मुक्त किया जाकर उन्हे जोइनींग दी जाए।