भोपाल। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अली और बजरंग बली वाले बयानों के जाल में फंस गए हैं। उनकी सभाओं से भाजपा को क्या फायदा हुआ इसका तो केवल अनुमान लगाया जा सकता है परंतु नुक्सान क्या हुआ यह नजर आने लगा है। भाजपा को 'अली नहीं बजरंग बली' की ज़रूरत है। बयान से नाराज 3 मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। इधर दलित हनुमान के कारण सवर्ण नेताओं ने रोष व्याप्त है। बता दें कि मप्र में सवर्ण आंदोलन काफी प्रभावशाली रहा है और यह आग अब तक बुझी नहीं है।
चुनाव ख़त्म होने के बाद अब भाजपा में असंतोष निकल कर सामने आ रहा है। इंदौर बीजेपी नगर उपाध्यक्ष इरफ़ान मंसूरी, दानिश अंसारी और अमान मेनन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इनके तमाम समर्थक और कार्यकर्ता भी मुखर हो गए हैं। इन नेताओं ने योगी आदित्यनाथ के बयान को बंटवारे की राजनीति बताया। मोर्चे के प्रदेश उपाध्यक्ष नासिर शाह ने भी आदित्यनाथ के बयान को ग़लत बताया।
क्या कहा था योगी आदित्यनाथ ने
बतौर स्टार प्रचारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए आए थे। उसी दौरान उन्होंने कई सभाओं में कहा था कि कांग्रेस को अली की ज़रूरत है और बीजेपी को बजरंगबली की।
दलित हनुमान का क्या असर हुआ
योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के चुनाव प्रचार में भगवान श्रीराम के भक्त हनुमानजी को दलित बताया था। मध्यप्रदेश के सवर्ण भाजपा नेताओं ने पार्टी फोरम पर इस बयान को लेकर आपत्ति जताई है। सवर्ण नेताओं का कहना है कि वोट के लिए इस तरह का झूठा और अपमानजनक जातिवादी बयान स्वीकार्य नहीं है। यदि संगठन योगी के बयान से सहमत है तो भाजपा में सवर्ण कार्यकर्ताओं को अपनी उपस्थिति पर पुनर्विचार करना होगा।