भोपाल। मध्य प्रदेश की 257 मंडियों में एक जनवरी 2019 से ई-अनुज्ञा (परमिट) व्यवस्था लागू नहीं होगी। व्यापारियों के हड़ताल पर जाने की घोषणा के मद्देनजर कृषि विभाग ने मंडी बोर्ड के इस प्रस्ताव पर पहले विधि विभाग से अभिमत लेने का निर्णय किया है। इसे देखते हुए सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ ने मंगलवार से प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक मंडियों में परमिट के नाम पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। मंडी समिति के पदाधिकारी और अधिकारियों से मिलीभगत करके एक परमिट पर कई बार अनाज बाहर ले जाने और दूसरी मंडियों में बेचने के मामले डेढ़ साल पहले सामने आए थे। इससे मंडियों को लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा था।
इसे देखते हुए मंडी बोर्ड ने ई परमिट व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया था। इसके मद्देनजर सभी मंडियों को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है। नई व्यवस्था में व्यापारी को मंडियों से अपना माल ले जाने या बाहर से लाकर बेचने के लिए परमिट बनवाने चक्कर नहीं लगाने होंगे। व्यापारी घर बैठे मंडी फीस चुकाकर ऑनलाइन परमिट बनवा लेंगे। मंडियों में कारोबार करने वाले व्यापारियों ने इस व्यवस्था का विरोध किया है।
सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति मध्य प्रदेश के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने बताया कि इस व्यवस्था से दूरदराज के इलाकों में कारोबार करने वाले व्यापारियों को तकनीकी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डिजीटल साक्षरता का अभाव है और ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की भी समस्या है। ऐसे में आधी-अधूरी तैयारी से ई-अनुज्ञा लागू करने व्यापार प्रभावित होगा। इसके विरोध में एक जनवरी से सभी मंडियों में हड़ताल की जाएगी।
इसे देखते हुए हरकत में आए कृषि विभाग ने इस मामले में विधि विभाग से अभिमत लेने का निर्णय किया है। इसके बाद व्यापारी महासंघ ने प्रस्तावित हड़ताल स्थगित कर दिया है। प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा ने प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि अभिमत मिलने के बाद ही ई-अनुज्ञा की व्यवस्था लागू करने की कार्रवाई की जाए।