भोपाल। मध्यप्रदेश में जबकि आम जनता शिवराज सिंह सरकार पर हमलावर थी। कर्मचारी पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ हो गए थे ऐसे में विंध्य जो कि कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के बजाए नुक्सान दे गया। यहां के सर्वाधिकार सुरक्षित नेता अजय सिंह खुद चुनाव हार गए। सीन कुछ ऐसा बना जैसे पूरे प्रदेश में शिवराज सिंह और विंध्य में अजय सिंह का विरोध हो।
पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे एवं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह विंध्य के मामले में अधिकारपूर्वक बात करते हैं। विंध्य के कारण ही उन्हे दिल्ली में सम्मान मिलता है। लेकिन इस बार विंध्य में इस बदलाव की झलक देखने को नहीं मिली। यहां इस बार भी बीजेपी ने कांग्रेस को शिकस्त दी। विंध्य की 30 सीटों में पिछली बार 20 बीजेपी, 8 कांग्रेस और 2 बसपा ने जीती थी, लेकिन इस बार बीजेपी 24 सीटें जीतीं और कांग्रेस 6 पर सिमट गई जबकि बसपा के पास एक भी सीट नहीं बची। भाजपा ने यहां शानदार प्रदर्शन किया है।
सीएम के नाम पर Deepak Bavaria से अभद्रता हो गई थी
विंध्य में कांग्रेस से ज्यादा बड़ा नाम अजय सिंह का कहा जाता है। इस बात को प्रमाणित भी किया गया जब प्रदेश प्रभावी दीपक बावरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में सीएम पद के 2 ही दावेदार हैं कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया तो उनके साथ अभद्रता की गई क्योंकि उन्होंने अजय सिंह का नाम नहीं लिया था। यह घटना देश भर की सुर्खियां बनी और दिल्ली में राहुल गांधी को अचानक मीटिंग तलब करनी पड़ी थी। राहुल गांधी को स्वीकृति देनी पड़ी थी कि सिर्फ 2 ही विकल्प नहीं हैं, मीटिंग में मौजूद सभी व्यक्ति सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं।