अब्दुल वसीम अंसारी/राजगढ़, मध्यप्रदेश। बागियों ने जहां एक ओर सभी पार्टियों को नुक्सान पहुंचाया वहीं राजगढ़ एक ऐसी सीट है जहां बगावत के कारण कांग्रेस को फायदा हुआ और कांग्रेस की तरफ से सामने आए नए नाम पर भरोसा जताया। बता दें कि यहां से पूर्व विधायक प्रताप सिंह मंडलोई बागी हो गए थे। उनके समाज के 50 हजार वोट हैं। भाजपा के बागी रमाकांत तिवारी ने प्रताप सिंह को समर्थन दे दिया था परंतु बागियों का यह गठबंधन जनता को समझ नहीं आया। बागियों के गठबंधन को मात्र 30 हजार वोट ही मिल पाए।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव और पूर्व जिला पंचायत सदस्य बापू सिंह तंवर को विधानसभा चुनाव 2018 का कांग्रेस प्रतयाशी चुना गया लेकिन कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रताप सिंह मंडलोई को ये नागवार गुजरा। पार्टी से बगावत कर पूर्व विधायक प्रताप सिंह मंडलोई ने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप मे नामांकन दाखिल कर दिया। कांग्रेस के बागी नेता प्रताप सिंह मंडलोई को भाजपा के बागी नेता रमाकांत तिवारी ने समर्थन दे दिया। लेकिन राजगढ़ विधान सभा की जनता ने इसे नकारते हुए कुछ अलग ही तेवर दिखाए जिसका परिणाम ये हुआ कि कांग्रेस के नए चेहरे ने 81921 मत प्राप्त कर 31183 रिकॉर्ड मत (जो कि सम्पूर्ण जिले में सबसे अधिक है) विजयी हासिल की।
विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी शिवसिंह बामलाबे को 51000 से अधिक मतों से हराने वाले अमर सिंह यादव को पार्टी के द्वारा पुनः विधानसभा चुनाव 2018 का उम्मीदवार चुना गया लेकिन भाजपा के बागी नेता और पूर्व जनपद अध्यक्ष रमाकांत तिवारी ने वर्तमान सांसद पर टिकट की खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा देकर अपने दस हजार कार्यकर्ताओ के साथ निर्दलीय प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया।
खास बात -
विधानसभा चुनाव 2013 में 51000 से अधिक मतों से विजय हासिल करने वाले भाजपा प्रत्याशी अमरसिंह यादव इस विधानसभा चुनाव 2018 में 50738 पर सिमट कर दूसरे नंबर पर रह गए।
कांग्रेस के पूर्व विधायक और बागी नेता प्रताप सिंह मंडलोई जिनको भाजपा के बागी नेता रमाकान्त तिवारी का समर्थन प्राप्त था। 33494 मत प्राप्त कर तीसरे नंबर पर सिमट कर रह गए।
कांग्रेस के बागी नेता प्रताप सिंह मंडलोई सोंधिया समाज से है जिनकी राजगढ़ विधानसभा में कुल संख्या कमोबेश 50000 के करीब है, जो कि लगभग भाजपा के ही खाते में जाते है।