केले को प्राचीन समय से ही पूज्य और पवित्र माना गया है। सनातन धर्म में केले का पौधा पूजनीय माना गया है। केले के फल, तना और पत्तों को हमारे पूजा विधान में अनेक तरह से उपयोग किया जाता है। यह शुभ और पवित्रता का प्रतीक है। केले के वृक्ष में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है। केले का पेड़ भगवान विष्णु को अति प्रिय है इसीलिए हिंदू केले के पेड़ की पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार सात गुरुवार नियमित रूप से केले की पूजा करने से सब मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
मांगलिक दोष वाले व्यक्ति की अगर केले के पेड़ से शादी की जाए तो उसका मांगलिक दोष दूर हो जाता है। किसी पूजा में या मांगलिक कार्यों में दरवाजे पर केले के पत्तों को लगाना बहुत शुभ होता है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को केला चढ़ाने से घर में सुख व समृद्धि आती है। वैवाहिक जीवन सुखी होता है। अगर आप पुखराज रत्न धारण नहीं कर सकते तो केले की जड़ पहन लें, इससे भी उतना ही लाभ होगा।
केले के पौधे और पत्तों का महत्त्व / Importance of banana plants and leaves
कदली व्रत में इस पेड़ की पूजा होती है तो कथा-पूजन में केले के पत्ते सजाए जाते हैं। ऋषि पंचमी के दिन केले के पत्ते पर चंदन से सप्त ऋषियों के प्रतीक-चिह्न बनाकर उनकी पूजा की जाती है। श्री सत्यनारायण की कथा में भी केले के पत्तों का मंडप बनाया जाता है। दक्षिण भारत में केले के पत्ते पर भोजन परोसा जाता है।
ऐसे करें केले का पूजन / Doing such banana worship
– प्रात: मौन पालन कर स्नान करें और केले के वृक्ष को प्रणाम कर जल चढ़ाएं।
– हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ केल को समर्पित करें।
– कुंकू, अक्षत, पुष्प आदि मंगल द्रव्य चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
– घर के आंगन के वृक्ष को छोड़ दूरस्थ पेड़ की ही पूजा करना चाहिए।