भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा की हार के लिए शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार है या फिर पार्टी के गद्दार। ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने अमित शाह के प्राइवेट डिटेक्टिव मध्यप्रदेश के सभी शहरों में पहुंच गए हैं। वो भाजपा नेताओं के अलावा पत्रकारों व अन्य लोगों से भी बात कर रहे हैं। वो अपनी पहचान बदलकर लोगों से मिल रहे हैं और असलियत पता कर रहे हैं।
बता दें कि अमित शाह ने 'अबकी बार 200 के पार' का टारगेट दिया था परंतु 2013 के चुनाव के मुकाबले भाजपा को 64 सीटों के नुकसान हो गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी सर्वे टीम और एनजीओ को मप्र भेज दिया है, जो हार की कारणों की रिपोर्ट जनवरी के पहले सप्ताह में ही सौंपेगी। इसी आधार पर संसदीय सीटों पर जमावट होगी। शाह ने साफ कर दिया है कि हर संसदीय सीट पर 18 लोग होंगे, जो लोकसभा चुनाव का संचालन करेंगे। यह टीम सीधे केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में होगी। इस टीम में कौन रहेगा और कौन नहीं, यह जिम्मा प्रदेश संगठन को दिया गया है।
पार्टी सूत्रों का मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व का सोचना है कि लोकसभा चुनाव तक कुछ मुद्दे और असर कर सकते हैं, इसलिए होमवर्क अभी से करने की तैयारी है। जनवरी में शाह संगठन की एक बड़ी बैठक ले सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनावों की हार का आंकलन करने आई टीम लोकसभा के हिसाब से भी शाह को जानकारी देगी। इसी हिसाब से टिकट तय हो सकते हैं।
यह है AMIT SHAH का ‘फॉर्मूला 18’
1 लोकसभा प्रभारी, 1 संयोजक, 1 सह संयोजक, 1 विस्तारक, 1 समन्वयक, 3 मीडिया टीम, 3 सोशल मीडिया टीम, 3 लीगल, 2 हितग्राहियों से संपर्क (एक महिला होगी), 1 कॉल सेंटर, 1 प्रोग्रामर।
सांसदों की भी भूमिका
लोकसभा संयोजक और सह संयोजक के नाम तय करते समय प्रदेश संगठन को मौजूदा सांसद की सहमति लेनी होगी। लोकसभा प्रभारी के नाम का सुझाव प्रदेश संगठन देगा, तय केंद्रीय नेतृत्व करेंगे।