भोपाल। मध्य प्रदेश में पढ़ाई पर महिला शिक्षिकाओं की छुट्टियां भारी साबित हो रही है। प्रदेश भर में करीब 10 हजार से ज्यादा महिला शिक्षिकाएं चाइल्ड केयर लीव पर हैं। एक तरफ तो स्कूलों में शिक्षकों की कमी हैं वहीं दूसरी तरफ कम संख्यां होने के बाद भी महिलाओं के चाइल्ड केयर लीव पर जाने से स्कूलों में शिक्षकों का संकट खड़ा हो गया है।
प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। आधे से ज्यादा स्कूल एक से दो शिक्षकों के भरोसे ही चल रहे हैं तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा महिला शिक्षक चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) पर हैं। छुट्टियां लेप्स होने के चलते महिला शिक्षिकाएं परिवार के साथ बाहर घूम रही है तो कुछ विदेश दौरे पर हैं। स्कूलों में परीक्षाओं के नजदीक आने के साथ छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। राजधानी भोपाल में ही तमाम सरकारी अमले के बीच में 49 संकुलों में करीब 1200 से ज्यादा शिक्षिकाएं लीव पर गई हुई हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई और परिणाम पर असर पड़ना लाजमी है।
परीक्षा के नजदीक आते ही शिक्षा विभाग के औचक निरीक्षण से अधिकारियों की नींद खुली है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में ज्यादातर महिला शिक्षक चाइल्ड केयर लीव पर ही मिली। ज्यादा महिला शिक्षिकाओं के अवकाश पर जाने से स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग ने तत्काल तमाम शिक्षिकाओं की छुट्टियां 10 जनवरी से निरस्त करने के आदेश दिए हैं। शिक्षा विभाग ने महिला शिक्षकों को तुरंत स्कूल आने का आदेश भी जारी किया है और स्कूल नहीं पहुंचने वाली टीचर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
परीक्षाओं से पहले भले ही शिक्षा विभाग नींद से जागा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे शिक्षा विभाग एक साथ महिला शिक्षिकाओं को चाइल्ड केयर लीव पर जाने की अनुमति दे देता है। छुट्टियां देते वक्त आखिर शिक्षा महकमा क्यों छात्र-छात्राओं के भविष्य के बारे में नहीं सोचता है। शिक्षा विभाग और शिक्षक कब छुट्टियों की परवाह किए बिना बच्चों के भविष्य के बारे में अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।