भोपाल। शिक्षा विभाग के अधिकारी परेशान हैं। करीब 3.5 लाख शिक्षकों/अध्यापकों में से 2.83 लाख ने ई शिक्षामित्र मोबाइल एप डाउनलोड कर लिया है, वो दूसरे कामों के लिए इस एप का यूज भी कर रहे हैं। कई बार स्कूल में रहते हुए एप चलाते हैं परंतु ई-अटेंडेंस नहीं लगाते। बता दें कि अटेंडेंस का नियम शिक्षा विभाग में सबसे कड़ाई से पालन किया जाता है। यहां छात्रों तक की अटेंडेंस लगाई जाती है परंतु शिक्षक अपनी अटेंडेंस एप के जरिए लगाने को तैयार नहीं।
भोपाल की पत्रकार अंजली राय की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 3 लाख 44 हजार 286 शिक्षकों में से 2 लाख 83 हजार 539 शिक्षकों ने एम शिक्षा मित्र ऐप अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लिया है लेकिन ई-अटेंडेंस का आंकड़ा काफी कम है। स्कूलों में शिक्षकों की इस तरह की अनुपस्थिति को लेकर विभाग अभी कुछ खास नहीं कर पा रहा है। यहां यह भी गौरतलब है कि हाल ही में सत्ता संभालने वाली कांग्रेस सरकार ने अपने वचन पत्र में ई-अटेंडेंस प्रथा समाप्त करने की बात भी कही है। स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे और वर्तमान में प्रदेश के मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर जो आंकड़े इकट्ठा करवाए थे, उसमें यह सामने आया था कि प्रदेश के करीब 55 फीसदी शिक्षक नियमित रूप से स्कूल नहीं जा रहे हैं।
इन परिस्थितियों से निपटने के लिए विभाग ने एम शिक्षा मित्र ऐप के जरिए ई- अटेंडेंस को अनिवार्य किया लेकिन शिक्षकों ने इसे जरूरी नहीं समझा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षक नेटवर्क न मिलने का तर्क देकर ई-अटेंडेंस लगाना नहीं चाहते हैं। इसमें सबसे खराब स्थिति भोपाल जिले की है, यहां पर 6051 शिक्षकों में से 4988 शिक्षकों ने ऐप डाउनलोड किया लेकिन इसमें से पांच फीसदी से भी कम शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस लगाई। सबसे अधिक सीहोर जिले के शिक्षकों ने ऐप डाउनलोड कर ई- अटेंडेंस लगाई। सरकार के वादे को देखते हुए अब विभाग एम शिक्षा मित्र ऐप के जरिए शिक्षकों की गैरहाजिरी जानने का कोई तरीका तलाश कर रही है।
ऐप से ऐसे लगती है हाजिरी
यह ऐप 1 अप्रैल 2018 को बना और जून 2018 में इसे अनिवार्य किया गया। जुलाई 2018 से इसे शुरू कर दिया गया। विभाग की ओर से ऐप को डाउनलोड करने और इसकी प्रक्रिया को बताने के लिए कार्यशालाओं का भी आयोजन हो चुका है। एम शिक्षा मित्र ऐप में ई-अटेंडेंस सुविधा है। शिक्षकों के स्कूल पहुंचते ही लॉग-इन व पासवर्ड डालने के बाद ई-अटेंडेंस में जाकर क्लिक करने से उनकी उपस्थिति दर्ज हो जाती है। यही नहीं, ऐप से स्कूल पहुंचते ही शिक्षक की लोकेशन मिल जाती है और एजुकेशन पोर्टल पर उसके आने की तारीख और समय दर्ज हो जाता है।
ऐप से शिक्षकों के भी काम
इस ऐप के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति, बच्चों की उपस्थिति, स्कूलों की जानकारी, सुविधाएं, राज्य, मंत्रालय और जिला शिक्षा विभाग से जारी निर्देश और सर्कुलर सभी की जानकारी तत्काल शिक्षकों को मिलती है। सेलरी स्लिप भी उपलब्ध होती है। इस ऐप के जरिए भले ही शिक्षक ई-अटेंडेंस को जरूरी नहीं मान रहे हों, लेकिन इसमें शिकायत-समाधान सुविधा में प्रदेश भर के 1453 शिक्षकों ने शिकायत की है। इनका समाधान भी किया है।
ई- अटेंडेंस का शुरू से विरोध
अधिकारियों के मुताबिक ई-अटेंडेंस का मुद्दा शुरू से विवाद का विषय रहा है। जब ई-अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया तो शिक्षकों ने नेट पैक का बहाना बनाया। उन्हें हर माह विभाग की ओर से 100 रुपए देने का आदेश जारी हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों का कहना था कि हमारे क्षेत्र में नेटवर्क नहीं मिलता, जिससे ई-अटेंडेंस संभव नहीं है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि जब पहली बार एम शिक्षा मित्र ऐप में लॉग-इन करेंगे तभी इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी। इसके बाद नेटवर्क न होने पर ऑफलाइन मोड में भी उपस्थिति लग जाएगी। जब नेटवर्क मिलेगा, अटेंडेंस रिपोर्ट सर्वर में फीड हो जाएगी।
हाई कोर्ट पहुंचे थे शिक्षक
विभाग ने जब 2016 में ई-अटेंडेंस को लागू करने का मन बनाया था तब शिक्षकों ने इसका भारी विरोध किया था। इसके बाद अक्टूबर 2017 में ई-अटेंडेंस के खिलाफ शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज किया था कि यह राज्य शासन का मामला है।
एम शिक्षा मित्र ऐप में मिलने वाली सुविधाएं
सभी स्कूलों की प्रोफाइल, नामांकन, पदस्थ शिक्षक व अमला, सुविधाएं, अधोसंरचना, लोकेशन, शाला में दर्ज विद्यार्थियों की सूची, स्कूलों को राज्य स्तर से जारी-प्राप्त राशि व फंड्स।
- पे-स्लिप, अवकाश आवेदन पंजीयन, ई-सेवा पुस्तिका, शिक्षकों की विभागीय एवं सेवा संबंधित शिकायतों का पंजीयन एवं ट्रैकिंग।
- राज्य, संभाग, जिला, ब्लॉक एवं स्कूल स्तर के कार्यालयों द्वारा जारी आदेश व सर्कुलर।
- विद्यार्थियों की दैनिक उपस्थिति, सुविधाएं जैसे छात्रवृत्ति, साइकिल वितरण आदि का स्टेटस ट्रैकिंग, विद्यार्थियों का आगामी कक्षा में प्रमोशन आदि।
- अधिकारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों व कर्मचारियों की दैनिक उपस्थिति।
- सभी स्कूलों के मैप पर प्रदर्शन।
- नि:शुल्क एसएमएस।
- आरटीई: मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की मान्यता का विवरण, विद्यार्थियों को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से आवंटित सीट, नोडल अधिकारियों द्वारा सत्यापन, नामांकन की रिपोर्टिंग।
- ज्ञान पिटारा।