जबलपुर। गांव नुनियाकला में एक गरीब महिला शौचालय में रहने को मजबूर है। दरअसल, कई साल पहले बारिश के कारण इनका कच्चा घर गिर गया था, तब से इनके पास रहने का इंतजाम नहीं है। पति की मौत के बाद बेसहारा हुई ये महिला किसी तरह मजदूरी कर अपना पेट पाल रही है। वहीं, जिम्मेदार महिला की मदद करने की बजाय सिर्फ आश्वासन देकर उसे लौटा देते हैं। इस गांव की सरपंच तो महिला है लेकिन गांव का सारा काम उनके पति अनिल पटेल देखते हैं।
महिला को दी थी 50 रुपए की मदद
हर बार सरपंच जी कहते हैं कि मकान बन जाएगा, लेकिन अब तक एक ईंट भी नहीं रखी गई है। वहीं, पीड़ित महिला को महज 50 रुपए देकर शौचालय की मरम्मत करवाने और उसी में रहने की सलाह देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। सरपंच की लापरवाही के चलते ही महिला सत्तो बाई तीन साल से शौचालय में रह रही हैं। इस बारे में जब जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की गई तो वो उपलब्ध नहीं हो सके। शौचालय में रहने के कारण ये महिला शौच के लिए बाहर जाती है। ये आलम तब है जब केंद्र सरकार का पूरा जोर खुले में शौच को रोकने पर है।
योजनाओं का भी नहीं मिल रहा लाभ / Not getting the benefits of the schemes
इस गरीब महिला को सरपंच जी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं दिलवा पा रहे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार गरीबों को पक्का मकान मुहैया करवा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई, 2018 तक मध्यप्रदेश में 6 लाख 16 हजार लोगों को पक्के मकान बनवाकर सौंप दिए गए थे। वहीं, करीब 12 लाख मकानों का निर्माण कार्य जारी था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन चरणों में 2022 तक गरीबों के लिए 2.95 करोड़ पक्के आवास बनाने का लक्ष्य है।