इंदौर। यदि आप कश्मीर की बात करते हैं तो आपको जानना जरूरी है कि यह भारत-पाकिस्तान विवाद और दुनिया के सबसे अच्छे पर्यटन केंद्र के अलावा भी कश्मीर में काफी कुछ है। यह वह स्थान है जहां सनातन हिंदू धर्म 5000 से अधिक वर्षों पहले फलित हुआ। यदि आप हिंदुओं के धर्मग्रंथ और इतिहास पढ़ेंगे तो जानेंगे कि कश्मीर से हिंदुओं का कितना स्वर्णिम इतिहास जुड़ा हुआ है जिसे भारतीयों से छुपाया गया है। कश्मीर से ही आदिकाल में कश्मीरपूरी निवासिनी मां शारदे का नाता रहा जहां जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने शारदा मठ की स्थापना कि कश्मीर से ही पतंजलि के योगसूत्र प्रतिपादित हुए। यह जानकारी सुशील पंडित ने दी जो डीएवीवी के स्कूल ऑफ कम्प्यूटर साइंस में श्री सिरेमल बापना व्याख्यानमाला पर बोल रहे थे।
सुशील पंडित कहते हैं कि हम कश्मीर के गौरवशाली ग्रंथ के कुछ पन्ने और पलटते हैं तो मुझे ज्ञात होता है कि कश्मीर में 5000 सालों से महर्षि पंचांग का प्रतिपादन होता आ रहा था, परंतु दुख व चिंता का विषय रहा कि युवा पीढ़ी इन सभी तथ्यों से अपरिचित है। कश्मीर घाटी को लेकर जब भी जनमानस के बीच चर्चा होती है तो आमतौर पर यह धारणाएं प्रस्तुत की जाती है कि कश्मीर एक वह भू-भाग मात्र है जिसे लेकर भारत-पाक के मध्य विवाद है।
जो लोग कश्मीर यात्रा कर चुके हैं, उनका मत रहता है कि यदि पृथ्वी पर कहीं जन्नत है तो वह सिर्फ कश्मीर में है और इस तरह हमेशा से कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी कोई खास प्रतिक्रिया लोगों के बीच नहीं देखी जाती है। उसका कारण स्पष्ट है कि कोई भी अभी तक कश्मीर का पुराना इतिहास नहीं जानता है। हम इतिहास पढ़ते हैं जिसमें केवल हमारी कमजोरियों को दिखाया गया है। इतिहास में आज हमें बक्सर का युद्ध, पानीपत की लड़ाई, प्लासी का युद्ध यह सब पढ़ाया गया। इसमें हमें हर बार हारे युवाओं को अकबर को पढ़ाया जाता है लेकिन कश्मीर सहित भारत में कई ऐसे शूरवीर हुए जिनके सामने अकबर कहीं नहीं टिकते।
हमारे युवा "सुहेलदेव पासी, बच्चा रावल, राजा ललितादित्य, रानी अवक्का, अभिनव गुप्त जैसे कई नामों से अनजान हैं लेकिन यदि हम इन्हें पढ़ते हैं तो जानेंगे कि हमने कश्मीर के साथ कितना कुछ खोया है। ऐसी परिस्थिति रही तो कितना कुछ खोने की कगार पर है। उन्होंने कहा- हम अपनी आंखें फोड़ लेंगे लेकिन सच नहीं देखेंगे।