भोपाल। आरक्षण के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की मुश्किल कम नहीं हो रही है। अब एकजुट हुए ओबीसी के संगठनों ने मांग कर डाली कि हमें 52 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। यह हमारा हक है, इसे लेकर रहेंगे। पिछड़ा वर्ग संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा शनिवार को रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर आयोजित की गई महापंचायत में यह मांग उठी। लोकसभा, विधानसभा सीटों में भी 52 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए।
महापंचायत में ओबीसी के कर्मचारी-अधिकारी एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान सभा हुई। इसे पूर्व महापौर विभा पटेल, महेंद्र सिंह, भुवनेश पटेल, वीरेंद्र खोंगल, लोकेंद्र गुर्जर, राम विश्वास कुशवाहा, बहादुर सिंह लोधी, केपी कुर्मवंशी, निर्मला पाटिल, प्रकाश सिंह धाकड़, यश यादव, राजकुमार सिंह, हरि बाबू धाकड़, दुलीचंद पटेल, कल्पना राय समेत कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि चयन और पदोन्नति समितियों में भी OBC का एक सदस्य होना चाहिए। प्रमोशन में भी आरक्षण मिलना चाहिए। सभा के बाद रवींद्र भवन से राजभवन तक पैदल मार्च निकाला गया। वहां राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को ज्ञापन सौंपा गया।
आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है / Reservation is a matter of representation
सभा में मोर्चा की अपील के तौर पर पीले रंग के पंपलेट भी बांटे गए। इनमें केंद्र सरकार द्वारा सामान्य वर्ग को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण का जिक्र किया गया। इसे लेकर कहा गया कि आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है, यह कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है।
समता आंदोलन ने कहा- दस फीसदी आरक्षण ऐतिहासिक कदम / The Samata Movement said - 10 percent reservation historical step
आरक्षण को लेकर राष्ट्रीय संगठन समता आंदोलन ने भी अपने मंसूबे जाहिर कर दिए। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष अशोक शर्मा ने कहा कि दस फीसदी आरक्षण ऐतिहासिक कदम है। इस बारे में संविधान संशोधन विधेयक का ज्यादातर दलों ने समर्थन किया है। इसे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम कहना सरासर अन्याय है। संगठन ने निर्णय लिया है कि 1 फरवरी से प्रदेश भर में मुहिम छेड़ी जाएगी। इस दौरान राजधानी समेत प्रदेश भर में सामान्य वर्ग के सामाजिक संगठनों काे एकजुट कर सेमिनार, परिचर्चा आयोजित की जाएगी। 1 फरवरी को राजधानी में बड़ा सम्मेलन बुलाएंगे।