भोपाल। भोपाल-इंदौर के बीच नॉन स्टाप इंटरसिटी एक्सप्रेस का चलना लगभग तय है। यह ट्रेन लोकसभा चुनाव के पहले भोपाल से इंदौर के बीच दौड़ने लगेगी। चार महीने पहले भोपाल रेल मंडल ने प्रस्ताव बनाकर पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर जोन को दिया था। जहां से तत्कालीन जीएम गिरीश पिल्लई ने प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा था। रेलवे बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने बताया कि प्रस्ताव पर कई दौर की चर्चा हो चुकी है। इसके बाद ट्रेन को चलाना लगभग तय है।
टाइम टेबल और फेयर चार्ट अभी तैयार नहीं किया है। खास बात यह है कि लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन भी इस स्पेशल ट्रेन को चलवाने का प्रयास कर रही हैं।भोपाल-इंदौर के बीच लंबे समय से नॉन स्टाप ट्रेन की जरूरत महसूस की जा रही है। क्योंकि दोनों शहरों के बीच राजनीतिक, व्यावसायिक, शिक्षा व स्वास्थ्य समेत प्रशासनिक कामकाज के चलते रोज अप-डाउन करने वालों की संख्या बढ़ रही है।
अभी यह पूरा ट्रैफिक बस और टैक्सियों पर निर्भर है। सड़क आवागमन से अधिक समय लगता है। यह देखते हुए रेलवे ने सर्वे कराया है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो यह ट्रेन भोपाल से 3.30 घंटे में इंदौर की करीब 208 किमी दूरी तय करेगी। यह ट्रेन दोनों तरफ से सुबह व शाम को चलेगी।
ट्रेन चलाने के लिए बोर्ड को दिए तर्क
- अभी भोपाल से इंदौर के बीच कोई भी नॉन स्टॉप ट्रेन नहीं है।
- यात्रियों को दूरी तय करने में 6 घंटे से अधिक लगते हैं।
- इसके कारण ज्यादातर यात्री बस और टैक्सी में सफर करते हैं।
- इस रूट पर करीब 250 बसें व 300 टैक्सियां चलती हैं जिन्हें 1000 से 1500 यात्री रोज मिलते हैं।
- बस-टैक्सी में चलने वाले यात्रियों का मानना है कि नॉन स्टॉप ट्रेन मिलती है तो सफर ज्यादा आसान होगा।
- भोपाल-इंदौर के बीच व्यापारिक व नौकरी पेशे से जुड़े लोगों का रोज आवागमन तेजी से बढ़ा है। इसमें आगे भी वृद्घि होगी।
3 साल पहले डबल डेकर इसलिए फेल हुई
- तीन साल पहले भोपाल-इंदौर के बीच डबल डेकर चेयरकार सीटिंग रैक से चलती थी, जिसमें बैठक व्यवस्था सुविधाजनक नहीं थी।
- किराया अधिक था, उस समय यात्री भी औसतन कम मिल रहे थे, रेलवे को घाटा हुआ था।
- डबल डेकर सुबह भोपाल से इंदौर जाकर दोपहर में वापस आ जाती थी। फिर दोपहर में भोपाल से उज्जैन जाकर वापस आती थी।
- इस तरह शाम को इंदौर से भोपाल आने के लिए यह ट्रेन नहीं थी, रेलवे को घाटा होने की यह भी एक वजह थी।
इस रूट से होकर चलेगीः
इस नॉन स्टॉप ट्रेन को देवास-मक्सी रूट से चलाने की जरूरत बताई गई है। क्योंकि इस रूट पर चलाने से ट्रेन का एक-सवा घंटा बचेगा। उज्जैन होकर भोपाल तक पहुंचने में ट्रेन 6 घंटे लेती है। देवास-मक्सी रूट पर चलने से इंजन की दिशा नहीं बदलनी पड़ती। जबकि उज्जैन में ज्यादा दूरी तय करने के साथ इंजन की दिशा बदलना पड़ती है। इसमें 20 मिनट से लेकर आधे घंटे का अतिरिक्त समय लगता है।