भोपाल। सीएम कमलनाथ को 'कलेक्टर' पदनाम से चिढ़ है। उनका कहना है कि यह अंग्रेजों का दिया हुआ पदनाम है। इससे अहंकार की बू आती है इसलिए इसे बदल दिया जाना चाहिए। नया पदनाम क्या हो, इस पर सुझाव मांगे गए हैं। इस बीच सीएम कमलनाथ ने ही एक नया पदनाम भी सुझा दिया है। कहा जा रहा है कि यही फाइनल हो जाएगा।
छिंदवाड़ा के दौरे पर पहुंचे कमलनाथ ने संभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि कलेक्टर नाम अंग्रेजों के जमाने से चल रहा है और आज के जमाने के हिसाब से यह ठीक नहीं है। मीटिंग में कमलनाथ ने अधिकारियों से कहा, ‘कलेक्टर पद का नाम अंग्रेजी में अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। मैंने लोगों से सुझाव मांगा है कि यह क्यों कलेक्टर होना चाहिए। मैंने जिले के कलेक्टरों से ही कहा है कि उनके पद का नया नाम क्या होना चाहिए। डीसी (डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर) क्या होता है। यह भी मुझे नहीं चाहिए। कलेक्टर पद का नाम डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर होना चाहिए।’
पहले भी उठा चुके हैं 'कलेक्टर' पर सवाल
इससे पहले कमलनाथ ने भोपाल में भी कहा था, 'कलेक्टर पद का नाम ठीक नहीं है। यह अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है और आज के जमाने में इस पद के हिसाब से ठीक शब्द नहीं है।' उन्होंने जिले के आला प्रशासनिक अधिकारी को कलेक्टर कहे जाने पर तंज कसते हुए कहा था, 'कलेक्टर क्या कलेक्ट (इकट्ठा) करता है, जो उसे कलेक्टर कहा जाए? क्या वह टिकट कलेक्ट करता है या अन्य कुछ चीज कलेक्ट करता है, जो उसे कलेक्टर कहें। इस पद का नाम बदला जाना चाहिए।'
1772 में तय हुआ 'कलेक्टर' पदनाम
जानकारों का मानना है कि देश में ब्रिटिश राज के दौरान भारत के पहले गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1772 में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर पद की शुरुआत करवाई थी। उस दौरान इंडियन सिविल सर्विसेज के सदस्य ही डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हुआ करते थे जबकि देश की आजादी के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बनते हैं।