देश में कारोबारी जगत के नाम “कमजोर प्रदर्शन” लिखा जा चुका है,पिछले 5 सालों में। बीते पांच वर्ष में आय में वृद्धि बमुश्किल 5 प्रतिशत दर्ज की गई। इसने न केवल अनुमानों को झुठलाया बल्कि निवेशकों को भी हताश किया। हर निवेशक यह सुनकर थक चुका है कि जीडीपी और कारोबारी मुनाफे का अनुपात कितना गिर चुका है और देश के कारोबारी जगत का मुनाफा कितने निचले स्तर पर है।
नीतिगत प्रस्तुतियां भी पांच साल की अवधि में कमजोर पड़ते मुनाफे को दोबारा पटरी पर नहीं ला सकी । अब अनुमान लगाया जा रहा है कि व्यापक बाजार की समेकित सालाना वृद्घि दर (सीएजीआर) आय वृद्घि २० प्रतिशत रहेगी। वैसे पिछले पांच वर्षों के दौरान हर वर्ष ये अनुमान लगाये जाते रहे और कोई सफलता नहीं मिल सकी। हर वर्ष आय के अनुमानों को कम करना पड़ा। आंकड़ों में भारी कटौती करनी पड़ी। कई मामलों में तो यह कटौती काफी भारी थी। कई निवेशक हताश होने लगे। कुछ ने कहा कि अब वे आय में सुधार पर तभी यकीन करेंगे जब उनको यह वाकई में नजर आएगा । भारतीय बाजार का मूल्यांकन केवल तभी तार्किक नजर आता है जब यह मान लिया जाए कि आय में सुधार और मुनाफा मार्जिन सामान्य हो जायेगा।
आम सहमति इस बात पर है कि २०२० में आय वृद्घि २० से २५ प्रतिशत के दायरे में रह सकती है। ये आंकड़े हासिल किये सकते हैं। यह एक बहुप्रतीक्षित और ताजा बदलाव होगा। वित्त वर्ष २०२० में आय वृद्घि का आधार कॉर्पोरेट बैंकों के मुनाफे में सुधार होगा। वित्त वर्ष २०२० में आय में चरणबद्घ वृद्घि का ५०-६० प्रतिशत हिस्सा कॉर्पोरेट बैंकों के मुनाफे में सुधार से आएगा। इनमें निजी और सरकारी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं। चूंकि ये बैंक इस वित्त वर्ष के अंत तक अपने ऋण नुकसान की पहचान और उसकी प्रोविजनिंग दोनों कर चुके होंगे तो यह कहा जा सकता है कि ऋण की लागत कम होने के कारण मुनाफे में तेजी से सुधार होगा।
वार्धिक ऋण अंतराल में धीमापन आने और वित्त वर्ष २०१९ में अधिकांश बैंकों के कवरेज अनुपात के करीब ५० -६० प्रतिशत रहा | ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के जरिये फंसे हुए कर्ज के अधिकांश मामलों के निस्तारण के कारण वित्त वर्ष २०२० में मुनाफे के पथ पर वापसी हो सकती है। यह मुनाफा प्राप्त करने के लिए ऋण में भारी वृद्घि अथवा शुद्घ आय मार्जिन (एनआईएम) में विस्तार की जरूरत नहीं होगी। एक तार्किक अनुमान यह है कि ऋण की लागत ३०० आधार अंकों से गिरकर करीब १०० आधार अंक के अधिक सामान्य स्तर पर आ जाएगी। कॉर्पोरेट बैंकों के अलावा अन्य वित्तीय क्षेत्र भी वित्त वर्ष २०२० में चरणबद्घ मुनाफा वृद्घि का प्रदर्शन करेंगे। आईएलएफएस डिफॉल्ट के कारण वित्त वर्ष २०१९ की दूसरी छमाही में इन सभी वित्तीय क्षेत्रों पर नकदी संकट के चलते बहुत बुरा असर हुआ|
बीते कुछ महीनों में रुपये में १० प्रतिशत तक की कमजोरी आई है। इस गिरावट का लाभ भी वित्त वर्ष २०२० में आय में सुधार के रूप में नजर आने का अनुमान लगाया जा रहा है | चालू वर्ष में हेजिंग के चलते सुधरे हुए मुनाफे का पूर्ण वास्तवीकरण नहीं हो सका और प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति में बदलाव आया। रुपये का लाभ न केवल निर्यातकों को मिलेगा बल्कि आयात के विरुद्घ प्रतिस्पर्धा कर रही कंपनियों को भी इसका फायदा मिलेगा। आईटी सेवा क्षेत्र, जेनेरिक दवा निर्यातक और विनिर्मित वस्तुओं के निर्यातकों को इससे काफी लाभ हो सकता है। आईटी सेवा कंपनियों दो अंकों से अधिक की वृद्घि हासिल हो सकती है क्योंकि डिजिटल क्षेत्र में उनकी प्रतिस्पर्धी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। दुनिया भर में आईटी क्षेत्र के व्यय में वृद्घि हो रही है और कंपनियों के मार्जिन और पूंजी आवंटन में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।