भोपाल। नियमितीकरण की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों ने सरकार को नया फॉर्मूला सुझाते हुए कहा कि नियमित करने से सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने सरकार को चार कैटेगरी बनाकर प्रदेशभर के संविदा कर्मचारियों का ब्योरा तक दे डाला।
महासंघ का तर्क है कि प्रदेश में 65913 कर्मचारी हैं। ये सभी मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों और केन्द्र सरकार की योजनाओं में कार्यरत हैं। इनमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के रोजगार सहायक भी शामिल हैं। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने से वित्तीय भार इसलिए नहीं आएगा, क्योंकि विभागों में जो संविदा कर्मचारी हैं वे नियमित पदों के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं।
उनके वेतन का पूरा पैसा नियमित कर्मचारियों की तरह राज्य सरकार से आहरित हो रहा है। जो कर्मचारी केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में कार्य कर रहे हैं, उनमें केन्द्र सरकार पूरी योजना के बजट का 6% मैनेजमेंट कास्ट के तहत वेतनमान और भत्तों की राशि देती है। इसमें से मात्र 4% राशि ही खर्च हो पाती है। 2% राशि हर साल लैप्स हो जाती है। मैनेजमेंट कास्ट की राशि 1% बच जाएगी। ये सुझाव मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंचाए गए हैं।