भोपाल। चुनाव आयोग हमेशा पूरी ताकत के साथ यह बयां करता है कि ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पूरी तरह से सुरक्षित है और उसे हैक (EVM HACKING) नहीं किया जा सकता परंतु वो आज तक यह नहीं बता पाए कि ऐसा क्या हुआ था जो अटैर उपचुनाव में टेस्ट ट्रायल के दौरान बटन कोई भी दबाओ, वोट एक ही प्रत्याशी को मिल रहे थे। फिलहाल बात एक अज्ञात हैकर जिसे सैयद शुजा के नाम से पहचाना जा रहा है, के दावों की हो रही है।
क्या HACKER के दावों को गंभीरता से लेना चाहिए ?
संवाददाता सम्मेलन लंदन में आयोजित हुआ था, अत: यह मान लेना गलत होगा कि कोई फर्जी आदमी इस सम्मेलन को संबोधित करने उपस्थित हो सकता है।
हैकर ने बताया कि वो पहले भारत में रहता था और अमेरिका ने उसे राजनैतिक संरक्षण दिया हुआ है। अत: वो किसी पार्टी का नेता नहीं है जो कुछ भी बयान दे रहा हो।
हैकर के दावों और बातों को गंभीरता से लेना चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ईवीएम मशीनों में लोकसभा चुनाव 2019 से पहले एक अज्ञात तकनीकी बदलाव किया जाए जो उसे हैकिंग से बचाता हो।
मध्यप्रदेश के बारे में क्या कहा हैकर ने
हैकर ने बताया कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में ईवीएम मशीनें हैक करने की कोशिश हुईं थीं।
रिलायंस जियो ने तकनीकी मदद उपलब्ध कराई थी।
इस तरह की कोशिश मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी की गईं थीं।
हैकर ने दावा किया कि उन्होंने भाजपा की इस कोशिश को नाकाम किया।
क्या मध्यप्रदेश में EVM के साथ छेड़छाड़ हुई थी ?
यह संदेह जताया जा सकता है। इसके लिए पर्याप्त कारण उपस्थित हैं।
मतदान से पूर्व ईवीएम मशीनों की कमीशनिंग में कुछ स्थानों पर औसत से ज्यादा वक्त लगाया गया। प्रत्याशियों ने इसे कर्मचारियों की लापरवाही माना परंतु यह कुछ और भी तो हो सकता है।
कुछ स्थानों पर मतदान खत्म होने के बाद वोटिंग रूम में ईवीएम मशीनों के पहुंचने में देरी हुई जबकि टीम के साथ कोई हादसा नहीं हुआ था। देरी की वजह संदेहास्पद है जिसकी निष्पक्ष जांच नहीं हुई है।
स्ट्रांग रूम के आसपास रिलायंस जियो के कथित तकनीकी विशेषज्ञ नजर आए थे। कांग्रेस ने आपत्ति भी उठाई थी।